हर औरत के लिए मातृत्व सुख सब से बड़ा सपना होता है. इस के लिए वह किसी भी तकलीफ, सर्जरी या अन्य चिकित्सीय विकल्पों को आजमाने के लिए सहर्ष तैयार हो जाती है. अगर डिलिवरी आसानी से बिना किसी चीरफाड़ के हो जाए तो वह उस औरत के लिए एक खुशनुमा मौका होता है. हालांकि ज्यादातर गर्भवती महिलाओं को प्रसव के समय होने वाले दर्द व अन्य तकलीफों को ले कर थोड़ी चिंता रहती है, लेकिन चिकित्सा ने इतनी तरक्की कर ली है कि अब न तो डिलिवरी के लिए दाई के भरोसे रहना पड़ता है और न ही तकलीफें भरी रातें गुजारनी पड़ती हैं. वह समय गया जब प्रसव के दिनों में गांव की दाई गरम पानी के सहारे डिलिवरी करवाती थी और कौंप्लिकेशन की स्थिति में कई बार महिला की जान पर भी बन आती थी.
अब तो गर्भधारण के शुरुआती महीनों से ही डाक्टरी परामर्श शुरू हो जाता है. हर महीने जरूरी सावधानी और चिकित्सीय विकल्पों के जरीए 9 महीनों का अंतराल कब गुजर जाता है, पता ही नहीं चलता. बस जरूरत है सावधानी और सही जानकारी की. गर्भधारण से ले कर प्रसव तक सही जानकारी और चिकित्सीय जागरूकता अपनाई जाने से कैसे डिलिवरी आसानी से हो जाती है आइए जानते हैं:
नए अध्ययन और थेरैपी
हाल ही में एसएन मैडिकल कालेज के स्त्रीरोग विभाग द्वारा डिलिवरी को पूरी तरह दर्दरहित बनाने के लिए चल रही रिसर्च पूरी होने का दावा किया गया है. विभागाध्यक्ष, डा. सरोज सिंह के निर्देशन में डा. अनु पाठक ने विभाग में डिलिवरी के लिए आने वाली 120 गर्भवती महिलाओं पर अध्ययन किया, जिस के तहत सभी महिलाओं की पेनलैस डिलिवरी कराने के लिए उन्हें ऐपीड्यूरल यानी पीठ में इंजैक्शन लगाया गया. हालांकि यह इंजैक्शन तब लगाया गया जब महिलाओं को पहला दर्र्द उठा था.