एक समय था जब बहुमंजिला इमारतों में आशियाना नहीं तलाशा जाता था, खुले आंगन और छोटे से बगीचे वाले आशियाने को प्राथमिकता दी जाती थी. बगीचे पर तो खासतौर पर ध्यान दिया जाता था, क्योंकि यही उन के घर की साजसज्जा का जरीया होता था और अपनी पसंद की सब्जियां वगैरह उगाने का भी. वक्त ने करवट बदली, तो आधुनिकता ने आंगन भी निगल लिया और बगीचा भी. लेकिन एक बार फिर लोगों में अपने घर पर एक छोटा सा बगीचा तैयार करने की उत्सुकता को देखा जा रहा है. भले ही लोग गार्डन को जरूरत या शौक के नजरिए से न देख लाइफस्टाइल स्टेटस में इजाफा समझ कर अपने आशियाने में जगह दे रहे हों, लेकिन होम गार्डन के ट्रैंड पर उन्होंने अपनी सहमति की मुहर जरूर लगा दी है.

इस बाबत बागबानी विशेषज्ञा डाक्टर दीप्ति कहती हैं, ‘‘बगीचा होना अब घर की शान समझा जाता है. लोग इस में फैंसी पौधे और फूल उगाते हैं, जो घर की खूबसूरती को बढ़ाते हैं. असल में गार्डन होना और गार्डनिंग करने में बहुत अंतर है. भले गार्डन आशियाने की रौनक को बढ़ा दे, मगर उस में रहने वालों को इस का असली सुख तभी  मिलेगा जब वे इस की उपयोगिता को भी समझेंगे.’’

उपयोगिता बागबानी की

बागबानी समय का सब से अच्छा सदुपयोग है. बागबानी विशेषज्ञ डाक्टर आनंद सिंह कहते हैं, ‘‘आज की भागतीदौड़ती दिनचर्या में किसी के पास वक्त नहीं है. लोग औफिस के काम से फुरसत पाते हैं तो घरेलू कार्यों में मसरूफ हो जाते हैं. फिर अगर समय मिलता है तो वीकैंड में शौपिंग करने निकल जाते हैं. कई बार तो  फुजूलखर्ची करते हैं. ऐसे में मानसिक संतुष्टि मिलने के बजाय उलटा अवसाद घेर लेता है. अत: इस से अच्छा तो यह हो कि घर पर रह कर कुछ रचनात्मक काम किया जाए. इस में बागबानी से बेहतर और कोई विकल्प नहीं हो सकता है, क्योंकि यह आप को मानसिक सुख देने के साथसाथ अच्छी सेहत और भरपूर ज्ञान भी देगा.’’

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