जुलाई, 2019 की बात है जब कौफी कैफे डे (सीसीडी) जैसी बड़ी कंपनी के मालिक वीजी सिद्धार्थ ने बिजनैस में नुकसान और कर्ज की वजह से आत्महत्या कर ली थी. मीडिया में उन का एक सुसाइड नोट भी मिला था, जिस में सिद्धार्थ एक प्रौफिटेबल बिजनैस मौडल बनाने में मिली असफलता के लिए माफी मांग रहे थे. लैटर में लिखा था कि वे प्राइवेट इक्विटी होल्डर्स व अन्य कर्जदाताओं का दबाव और इनकम टैक्स डिपार्टमैंट का उत्पीड़न बरदाश्त नहीं कर सकते हैं इसलिए आत्महत्या कर रहे हैं.
सिद्धार्थ की इस अचानक मौत के बाद उन की पत्नी मालविका टूट गई थीं. उन की हंसतीखेलती दुनिया उजड़ गई थी. एक तरफ पति की मौत का सदमा तो दूसरी तरफ करोड़ों के कर्ज में डूबी कंपनी. ऊपर से अपने दोनों बेटों के भविष्य की चिंता भी थी. मगर इन बुरी परिस्थितियों में भी मालविका हेगड़े ने हौसला नहीं खोया और पूरे आत्मबल के साथ मोरचा संभाला. कंपनी की बागडोर अपने हाथ में ली और पूरी तरह जुट गईं सब ठीक करने के प्रयास में. उन की मेहनत रंग लाई और 2 साल के अंदर ही कंपनी फिर से अपने पैरों पर खड़ी हो गई.
31 मार्च, 2019 तक के आंकड़ों के अनुसार कैफे कौफी डे पर करीब क्व7 हजार करोड़ का कर्ज था. दिसंबर, 2020 में मालविका हेगड़े कैफे कौफी डे ऐंटरप्राइजेज लिमिटेड की सीईओ बनीं. जब मालविका ने कमान संभाली तब उन के सामने 4 चुनौतियां थीं- पति वीजी सिद्धार्थ की मौत से उबरना, परिवार को संभालना, कंपनी को कर्ज से उबारना और काम करने वाले हजारों कर्मचारियों के रोजगार को बचाना. विपरीत परिस्थितियों से जू?ाते हुए बहुत ही कम समय में उन्होंने सफलता और नारी शक्ति की अद्भुत मिसाल कायम की.