सवाल-

यदि मुझे पीसीओएस है तो मुझे गर्भवती होने में कितना समय लगेगा?

जवाब-

यदि आपको पौलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) है और आप गर्भधारण करना चाहती हैं तो आप की गर्भावस्था कई चीजों से प्रभावित हो सकती है. इस में आप के अपने स्वास्थ्य के साथसाथ आप के पार्टनर की उम्र और सामान्य स्वास्थ्य का भी हाथ होता है. यदि आप की उम्र 35 साल से कम है और आप नियमित रूप से अंडोत्सर्ग कर रही हैं और यदि आप को एवं आप के पार्टनर को आप के प्रजनन को प्रभावित करने वाली कोई दूसरी चिकित्सा संबंधी परेशानियां नहीं हैं तो इस बात की संभावना अधिक है कि 1 साल के अंदर या उस से भी जल्दी आप गर्भधारण कर सकती हैं. यदि आप के पार्टनर को चिकित्सा संबंधी कोई परेशानी है जैसेकि शुक्राणु की संख्या कम होना या यदि आप को ऐंडोमिट्रिओसिस या फाइब्रौयड्स जैसी स्त्रीरोग संबंधी कोई दूसरी समस्या है तो आप को गर्भवती होने में 1 साल से ज्यादा का समय लग सकता है. ज्यादातर महिलाओं में 32 साल की उम्र के बाद प्राकृतिक प्रजनन की क्षमता घटने लगती है और 37 की उम्र तक आतेआते इस में और गिरावट आ जाती है. यदि आप का मासिकधर्म यानी माहवारी नियमित नहीं हैं या फिर प्रजनन संबंधी ऐंडोमिट्रिओसिस जैसी कोई और समस्या है तो रिप्रोडक्टिव ऐंडोक्राइनोलौजिस्ट और गाइनोकोलौजिस्ट के पास जाएं.

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पीसीओएस यानी पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक सामान्य हारमोन में अस्थिरता से जुड़ी समस्या है जो महिलाओं की प्रजनन आयु में उन के गर्भधारण में समस्या उत्पन्न करती है. यह देश में करीब 10% महिलाओं को प्रभावित करती है. पीसीओएस बीमारी में ओवरी में कई तरह के सिस्ट्स और थैलीनुमा कोष उभर जाते हैं जिन में तरल पदार्थ भरा होता है. ये शरीर के हारमोनल मार्ग को बाधित कर देते हैं जो अंडों को पैदा कर गर्भाशय को गर्भाधान के लिए तैयार करते हैं. पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं के शरीर में अत्यधिक मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन होता है. इस की अधिक मात्रा के चलते उन के शरीर में पुरुष हारमोन और ऐंड्रोजेंस के उत्पादन की मात्रा बढ़ जाती है. अत्यधिक पुरुष हारमोन इन महिलाओं में अंडे पैदा करने की प्रक्रिया को शिथिल कर देते हैं. इस का परिणाम यह होता है कि महिलाएं जिन की ओवरी में पौलीसिस्टिक सिंड्रोम होता है उन के शरीर में अंडे पैदा करने की क्षमता कम हो जाती है और वे गर्भधारण नहीं कर पातीं.

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