युद्ध मानव इतिहास का निरंतर हिस्सा रहे हैं. हर युग में आम जनता को बेबात में युद्धों में घसीटा जाता रहा है और युद्ध का मतलब है कि हर रोज की जिंदगी का टूट जाना. युद्ध के दौरान शहर नष्ट हो जाते, युवा लड़ाई पर चले जाते, खाने के लाले पड़ जाते, घर में किसे मार डाला जाए पता नहीं रहता. फिर भी एक चीज जो प्रकृति की देन व आवश्यकता दोनों है, चलती रही. वह प्रेम है. युवा प्रेम हर तरह की कंटीली झाडि़यों में भी पनपा, फूलों के बागों में भी पनपा, गोलियों में भी पनपा और आज प्रेम कोविड के खूनी पंजों में भी पनप रहा है.
आज कोविड का युद्ध पहले के सभी युद्धों से खतरनाक है क्योंकि यह हर व्यक्ति को अपनी खुद की वजह जेल में बंद कर रहा है. हजार बंदिशें लोगों पर लगी हैं जो विदेशियों के आक्रमणों में नहीं लगीं, दंगों में नहीं लगीं, अकाल और बाढ़ में नहीं लगीं, युद्ध क्षेत्रों में नहीं लगीं.
एकदूसरे से गले लगने और बात करने तक पर पाबंदी. कोविड ने हर जने को जो एक छत के नीचे पहले से नहीं रहता उसे छूने, उस से सहयोग करने, उस के पास बैठ कर बात करने पर पाबंदी लगा दी. ऐसे में नया प्रेम कैसे हो? कैसे प्रकृति को छूने की चाहत, एकदूसरे में समा जाने की जरूरत पूरी हो?
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कोविड ने जो कैद करी है, वह लौकडाउनों के हटने के बाद भी न के बराबर हट रही है. मास्क में चेहरों से प्रेम निवेदन कैसे हो सकते हैं? 2 गज की दूरी रखने से एकदूसरे का स्पर्श कैसे मिल सकता है?