सेल, डिस्काउंट, एक खरीदें एक मुफ्त में पाएं, ऐसा अब हर जगह पढ़ने, देखने को मिल जाता है. पहले ऐसा केवल त्योहारों के दिनों में ही दिखता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब आप को सेल का स्वाद पाने के लिए किसी त्योहार का इंतजार करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि सेल का यह सिलसिला साल भर किसी न किसी नाम से चलता रहता है. त्योहार तो लोगों का ध्यान खींचने का बहाना हैं. असल में त्योहारों के नाम पर मोटे प्रौफिट का खेल होता है जोकि सेल न हो कर कंपनी की नई रणनीति के तहत सामान की सेलिंग का एक हिस्सा होता है. छूट का यह फंडा पहले जहां कपड़ों तक ही सीमित था, वहीं अब इस का कद दिनप्रतिदिन ऊंचा होने लगा है यानी खानेपीने की चीजों से ले कर मोबाइल तक, कार से ले कर छाते, जूतों तक व अन्य लग्जरी सामान सेल में मिलने लगा है.
औफर तरहतरह के
बेशक बेतहाशा बढ़ती महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी हो, बावजूद इस के कंपनियों के पास ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए न तो आइडियाज की कमी है और न ही स्कीमों की. कई साल तक सिर्फ सेल और डिस्काउंट के नाम पर चलने वाली कंपनियां इन्हें और भी अपीलिंग बनाने के लिए इस में कई सारे बदलाव लाई हैं. मसलन अब सेल के बजाय क्लीयरैंस सेल, मौनसून सेल, विंटर सेल, प्रीरैनोवेशन सेल, इंडिपैंडैंट डे सेल और फैस्टिव सीजन के नाम पर लगने वाली सेल की फेहरिस्त बहुत लंबी है. इसी तरह छूट की भी बहुत वैराइटी देखने को मिलती है. 20% 30% 50% का फलसफा अब बढ़तेबढ़ते 70% जा पहुंचा है और साथ ही बाई वन गेट वन, टू..., सिक्स तक फ्री का तड़का भी खूब लगाया जा रहा है. फैशन का नया इतिहास रचने का दावा करने वाली रेडीमेड गारमैंट की एक कंपनी ने नारा दिया कि सुबहसवेरे और देर रात शौपिंग करो और हर तरह के आइटम पर फ्लैट 50% औफ. कंपनी का यह फौर्मूला हिट भी हुआ.