अब लिली खुश थी. तकरीबन 2 महीने हो गए दोनों की दोस्ती को. बातोंबातों में लिली ने बताया था कि वह मुंबई में अकेली रहती है. मातापिता पूना में रहते हैं. क्यों न हम एकसाथ रहें?
अमित को यह अटपटा लगा. इस से अच्छा है कि दोनों शादी कर लें. अमित यही चाहता था, मगर लिली तैयार नहीं हुई.
‘‘अमित, शादी कोई गुड्डेगुड्डी का खेल नहीं. पहले हम एकदूसरे को सम झ लें, फिर शादी कर लेंगे. लिव इन रिलेशनशिप में रहेंगे, तो एकदूसरे को सम झने में आसानी होगी,’’ दोटूक कह कर लिली ने अपनी मंशा जाहिर कर दी.
अब अमित को फैसला लेना था कि वह इसे स्वीकार करता है या नहीं.
अमित लिली को खोना नहीं चाहता था, वहीं उस के संस्कार बिना शादी किसी लड़की के साथ रहने की इजाजत नहीं दे रहे थे.
‘‘यह कैसा संबंध लिली? बिना शादी हम एकदूसरे के साथ रहें? क्या रह जाएगा हमारेतुम्हारे बीच? ऐसे ही साथ रहना है, तो शादी कर लेने में क्या बुराई है?’’
‘‘कैसी दकियानूसी बात कर रहे हो? मैं बर्फ नहीं, जो तुम्हारे साथ रह कर पिघल जाऊंगी? साल 6 महीने साथ रह लेंगे तो क्या बिगड़ जाएगा?’’ लिली ने उलाहना दिया, ‘‘तुम कौन सी दुनिया में रह रहे हो अमित. यह नई दुनिया है. पुराने रिवाज टूट रहे हैं,’’ लिली के प्रस्ताव के आगे अमित ने हाथ खड़े कर दिए.
लिली कुछ कपड़े और एक सूटकेस ले कर अमित के पास रहने चली आई. लिली रविवार को अपने मांबाप से मिलने पूना जाती थी. अमित भी जाना चाहता था, मगर वह मना कर देती. पर क्यों, यह उस की सम झ से परे था.