राहुल पढ़ाई पूरी कर के अमेरिका में ही बहुत ऊंची तनख्वाह वाली नौकरी भी करने लगा. पर शादी की बात सुजाता ने उस से जब भी छेड़ी वह टाल गया. अंत में हुआ वही जिसका डर उन्हें पूरे 3 सालों से सता रहा था. कोविड के दिनों में वे उस के अभाव को ?ोलते रहे. गनीमत यह रही कि न कुमार, न सुजाता और न ही राहुल कोविड की चपेट में आए.
राहुल उन के मन के हर कोने में छिपी भावनाओं से परिचित था. इतना सम?ाना उस के लिए कठिन नहीं था कि मां को जान कर कितना आघात लगेगा कि वह एक अमेरिकन युवती से विवाह करना चाहता था. इस खुशखबरी को डैडी को देने में ही सम?ादारी होगी. यही उस ने किया भी. पिता की खुली सोच से वह परिचित था ही. कुमार उस की अकादमिक सफलताओं के कारण हमेशा से उस पर गर्व करते आते थे. ‘अपने विषय में जो भी निर्णय लेगा वह बहुत सोचसम?ा कर ही लेगा...’ इस का उन्हें भरोसा था और राहुल को डैडी पर. इसलिए मां को पहले यह खबर देने के लिए फिर सम?ाबु?ा कर राजी कर लेने के लिए उस ने डैडी का ही सहारा लिया.
एक दिन देर रात तक फोन पर उस ने विस्तार में पिता को बताया कि कैसे एक पार्टी में मीरा से उस की मुलाकात हुई थी. मीरा ने कालेज में ‘भारतीय इतिहास और संस्कृति’ विषय पर एक कोर्स किया था और इस के बाद भारत में उस की रुचि बढ़ती ही गई थी. यह रुचि केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रही थी. उसे हिंदू वर्णव्यवस्था की खामियों, दानपुण्य के ढकोसलोंकी भी पूरी जानकारी थी.