रेलवे अधिकारी की एकलौती बेटी के साथ मोहब्बत की पींगे बढ़ा कर सईद मास्साब ने पहले उस के साथ कोर्टमैरिज की, फिर उस के दादादादी के पास कर्नाटक जा कर निकाह किया और ससुराल वालों के चहेते दामाद बन गए. आयरीन के अब्बू ने शहर से दूर नए विकसित इलाके में एक आलीशान डुप्लैकस घर खरीदा था. आयरीन उन्हीं के साथ रह रही थी.
लाखों की आबादी वाले शहर और 30 किलोमीटर से ज्यादा के क्षेत्रफल वाले शहर के आखिरी छोरों पर रहने वालों को सईद मास्साब की असलियत का पता कैसे चलता? मीठी बातों के चलते नौकरीपेशा दामाद की छानबीन करने की जरूरत ही नहीं समझी रेलवे अधिकारी ने. दक्षिण भारत में बेटी की शादी में लगने वाले लाखों के दहेज और कई तोले सोना देने से वे बच गए थे, यही क्या कम था. कहां मिलते हैं ऐसे नेक लड़के आजकल के जमाने में. जब आयरीन के अम्मीअब्बू ने सईद मास्साब के बारे में कुछ जानने की जरूरत नहीं समझी, तो मैं ने भी कुछ बतलाने की पहल नहीं की.
आयरीन की मुसकराहट अब खिलखिलाहट में बदल गई थी. अब सईद मास्साब ने उस के लिए कार खरीद दी तो वह शीशे चढ़ा कर खुद ड्राइव कर के स्कूल आने लगी. ‘बहुतबहुत प्यार करते हैं मुझे मेरे हस्बैंड. स्कूल के बाद शाम तक मेरे साथ ही रहते हैं. रात को कोचिंग क्लास पढ़ाते हैं. देररात को 30-40 किलोमीटर आनाजाना मुश्किल होता है, इसलिए शहर में ही रुक जाते हैं.’
यह सुन कर मुझे तरस आता आयरीन के भोलेपन पर. कितनी खूबसूरती से छली जाती हैं ये पढ़ीलिखी बेवकूफ औरतें? लोभी, फरेबी और मक्कार मर्द की शहद टपकती जबान से निकली कोरी जज्बाती बातों में आ कर अपना सबकुछ लुटा बैठती हैं.