मिल्ड्रेड की आयु के 75 वर्ष पूरे होने पर उन की प्लैटिनम ऐनिवर्सरी के सम्मानस्वरूप सब बेटों ने मिल कर उन के पुराने जर्जर घर का पुनरुद्धार किया. बड़ी बेटी वीरता पदक प्राप्त आर्मी मेजर की विधवा है और आर्मी हौस्पिटल में औपरेशन रूम नर्स. उसे इंटीरियर डैकोरेशन का शौक है और उस ने घरों की रंगाईपुताई का प्रोफैशनल कोर्स भी कर रखा है. अपने युवा बेटेबेटी सहित वह मां के घर की ऊपरी मंजिल में बाकायदा किराया दे कर रहती है. कौन्सर्ट पियानिस्ट सब से छोटी, अविवाहित बेटी और सब से छोटा बेटा भी मां के साथ रहते हैं. बड़ी और छोटी, दोनों बेटियों, छोटे बेटे और नातीनातिन ने दोमंजिले पूरे घर के रखरखाव की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली है. बड़ी बेटी ने बहुत शौक से घर के अंदरबाहर की पूरी पेंटिंग खुद की. छोटे बेटे और नाती ने छत की खपरैलें बदलीं. गरमी में घर के आगेपीछे लौन की घास काटना, पतझड़ में आसपास से उड़ कर जमा पत्तों के ढेर उठाना और जाड़ों में बर्फ साफ करना, ये सब वे लोग ही करते हैं. बेटियों, बहुओं की लाख कोशिशों के बावजूद घर की रोजमर्रा सफाई और थोड़ीबहुत बागबानी मिल्डे्रड स्वयं करती हैं.
जो बेटे अपनेअपने बीवीबच्चों सहित अलग रहते हैं वे भी रविवार को मिल्डे्रड के घर पर इकट्ठे हो कर एकसाथ घूमने जाते हैं जिस के बाद पूरा परिवार साथ बैठ कर लंच करता है. सारी खरीदफ रोख्त खुद ही कर के पूरा खाना मिल्ड्रेड अकेले बनाती हैं और खाने की मेज भी बिलकुल फौर्मल तरीके से सुबहसुबह सजा कर तैयार करती हैं. सालों के अपने नियम में सिर्फ इतनी ढील देने लगी हैं कि बेटियां, बहुएं खाने के बाद मेज और खाना समेटें और कौफी सर्व करें.फार्मर्स मार्केट से ताजे फल, सब्जी खरीदते समय मिल्ड्रेड बखूबी याद रखती हैं कि परिवार में किस को क्या पसंद है. कभी कच्ची, कभी पका कर पहुंचा भी आती हैं. उन की पैनी निगाहें भांप लेती हैं कि अत्यधिक व्यस्तता के कारण किस के यहां धुला ई के कपड़ों का ढेर हो गया है, किस का फ्रिज साफ कर के चीजें ला कर स्टौक करना है. लाख मना करने पर भी नखशिख से सब दुरुस्त कर के ही लौटती हैं.