‘‘आंटी आप...’’ उन्हें इस प्रकार अचानक अपने सामने देख कर पीहू चौंक गई.
‘‘ओहो मिशेल आप आ गईं पेशैंट का कुछ सामान मंगवाया था इन से शी इज केयरिंग योअर फादर सिंस यसटरडे,’’ नर्स ने उन से सामान लेते हुए कहा.
पड़ोस की मिशेल आंटी से पिछली बार पापा ने मिलवाया था पर पापा की इतनी केयर उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था. 2 दिन बाद पापा कुछ ठीक हुए तो सामने पीहू को देख कर खुश हो गए. अब पापा को रूम में शिफ्ट करना था सो वह कुछ जरूरी सामान लेने घर चली गई. लौटी तो पापा रूम में शिफ्ट हो गए थे. जैसे ही वह रूम में जाने के लिए मुड़ी तो बाहर कैंसर वार्ड लिखा देख कर चौंक गई कि क्या. पापा को कैंसर हुआ है... पापा को ऐसी बीमारी... वह चक्कर खा कर गिरने ही वाली थी कि अहमद की मजबूत बांहों ने उसे संभाल लिया... अहमद ने उसे पास ही पड़ी बैंच पर बैठाया. अहमद पीहू को बहुत अच्छे से जानता था. वह पीहू के दिमाग में चल रहे ?ां?ावात को भलीभांति सम?ा गया था सो बोला, ‘‘पीहू हम यहां पापा को संभालने आए हैं खुद उन के लिए मुसीबत बनने नहीं... खुद को संभालो... यदि तुम ही कमजोर पड़ जाओगी तो पापा को कौन संभालेगा?’’
‘‘हां तुम ठीक कह रहे हो...’’ कहते हुए पीहू ने अपनी आंखों में आए आंसुओं को रूमाल से पोंछ लिया. मिशेल आंटी दूसरी बैंच पर बैठी ये सब बातें सुन रही थीं. वे अचानक पीहू के पास आईं और बोलीं, ‘‘तुम उन से कुछ मत पूछना मैं तुम्हें सब बताऊंगी पर अभी तुम उन के पास जा कर बैठो उन्हें अच्छा लगेगा.’’