बंधनरहित जिंदगी जीने में जो सुकून है, यह बात वही समझ सकता है जो बंधनों में जकड़ा मुक्ति के लिए तड़प रहा हो. अभ्रा की स्थिति भी कुछ ऐसी ही थी लेकिन क्या उसे कोई इस घुटन से बाहर निकाल पाया?