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लंबे इंतजार के बाद आज देश के नामी उद्योगपति गौतम खन्ना और विश्वसुंदरी यशोधरा 7 फेरे ले कर विवाह के बंधन में बंध गए थे. देखने वालों के होंठों पर यही बात थी कि ऐसी खूबसूरत जोड़ी दूसरी नहीं. भीड़ से बेपरवाह प्रेम पगी आंखों से वरवधू एकदूसरे को निहार रहे थे. दोनों का मिलना भी किसी इत्तफाक से कम नहीं था...

गौतम ब्यूटी कौंटैस्ट में जज बन कर क्या गया कि मिस वर्ल्ड की प्रतियोगिता के लिए चयनित हुई ब्रेन और ब्यूटी की प्रतिमूर्ति यशोधरा उस की चाहत ही बन गई. जैसे भी हो विश्वसुंदरी का ताज यशोधरा के सिर पर सजे यशोधरा के साथ गौतम का भी जनून बन कर रह गया था.

2 महीने बाद विश्वस्तर पर होने वाली इस प्रतियोगिता के हर इवेंट की तैयारी के लिए यशोधरा को विशेष रूप से प्रशिक्षित करने के लिए गौतम हर प्रकार से तैयार था. राहें आसान नहीं थीं. पर यह गौतम की कोशिशें और यशोधरा की साधना का परिणाम ही था कि 100 से ज्यादा सुंदरियों को पराजित कर के विश्वसुंदरी का ताज पहनने में सफल रही. यशोधरा की इस उपलब्धि में गौतम की भी बहुत बड़ी भागीदारी थी.

कितने महीनों के इंतजार के बाद खुशियों का सारी कायनात लिए आज का दिन आया था जब 2 तन कानूनन एक हो गए थे. वरवधू दोनों के मातापिता के चेहरों पर असीम खुशी थी.

2 हफ्ते का हनीमून मना कर गौतम और यशोधरा  लौट आए थे.

जीवन पुराने ढर्रे पर चल पड़ा था. गौतम अपने कारोबार में लग गया. विश्वसुंदरी बनने के बाद की गतिविधियों में यशोधरा के दिन व्यस्त से व्यस्तर होते गए. स्विट्जरलैंड के छोटे शहरों में भी तो यशोधरा के प्रशंसकों ने इस तरह से उसे घेर लिया था कि उन से पीछा छुड़ाने के लिए गौतम को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा था. हर शहर में होने वाले आए दिन के समारोहों में चीफ गैस्ट बन कर जाना तो आम बात हो गई थी. कहीं किसी ब्यूटीपार्लर के उद्घाटन का फीता काटना होता था तो कहीं नारी सशक्तीकरण के मंच को सुशोभित करना पड़ता था. ऐसे समारोहों में वे कभीकभी प्यारमनुहार से गौतम या अपनी सास को भी ले जाया करती थी. पूर्व विश्वसुंदरी हो जाने के बाद भी यशोधरा को शहर से बाहर के आमंत्रण भी स्वीकारने होते थे. विदेशों के चक्कर भी लगते. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से ब्यूटी प्रोडक्ट्स के प्रचार के लिए भी यशोधरा को जाना पड़ता था. मौडलिंग एवं फिल्मी औफर्स की भी भरमार हो गई थी. 2-4 फिल्मों में काम मिलने की बात चल रही थी. मीडिया वालों का घर पर हमेशा आनाजाना लगा रहता था. अपनी ख्याति और उपलब्धियों पर यशोधरा तो फूली नहीं समा रही थी.

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