मगर उस दिन रश्मि को उस पर संदेह हो गया. उस ने टीचर से उस की शिकायत
कर दी और फिर टीचर ने उस के बैग की तलाशी ली, तो कवर में छिपाए रुपए चमक उठे. उस दिन उस की बहुत बेइज्जती हुई क्योंकि मैडम ने उस की पीठ पर एक कागज में बड़ेबड़े अक्षरों से लिख कर ‘मैं चोर हूं’ टांग दिया. उस दिन वह बहुत जलील हुई और सिसकसिसक कर खूब रोई थी. उस दिन उस ने मन ही मन निश्चय किया कि अब कभी ऐसा नहीं करेगी, परंतु घर आतेआते उस की सोच बदल चुकी थी. घर में उस ने मां से बताया कि रश्मि ने उसे ?ाठमूठ फंसाया. पहले तो उन्होंने रश्मि को खूब खरीखोटी कहा और फिर से मंदिर में ले जा कर कान पकड़ कर पुजारी के सामने माफी मांगने को कहा और उन्हें दक्षिणा में रुपए दिलवा कर बोली, ‘‘भगवान उस की गलती को माफ कर दें.’’
अब तो उस का हौसला पहले से अधिक बढ़ गया था. पाप के प्रायश्चित्त का बड़ा ही सरल सा तरीका था. उस ने रोधो कर दूसरे स्कूल में ऐडमिशन ले लिया था और अपनी चोरी के काम से लोगों को शिकार बनाती रही.
कुछ दिनों तक सजल उस से नाराज रहे. उसे डांटतेफटकारते, ताने देते और आंखें तरेरते. फिर धीरेधीरे नौर्मल हो गए.
दूसरों का सामान उठाना नीरा की आदत में शुमार हो गया था. वह जहां भी जाती मौका मिलते ही चुपचाप कुछ भी उठा कर अपने पर्स के हवाले कर लेती.
नीरा को अपने गलत काम का एहसास था, पर वह इतना