पूर्व कथा
कैथरीन को इस बात का बड़ा गुमान था कि अभिजित उस की मरजी के बगैर एक कदम भी नहीं उठा सकता. मगर अचानक उस के व्यवहार में बदलाव आने लगा. इस बदलाव की जड़ थी उसी की एक छात्रा सुहानी, जिसे वह बेहद प्यार करने लगा था और दोनों ने शादी करने का मन भी बना लिया था. कैथरीन को इस बात का पता तब चला जब वह अपनी किसी सहेली के साथ शौपिंग के लिए गई. वहां एक कौफी शौप में दोनों को हाथों में हाथ डाले बैठा देख कैथरीन तिलमिला उठी. उस ने अभिजित को सबक सिखाने का मन बना लिया. मगर घर पहुंचते ही मामला उलटा पड़ गया. अभिजित ने तलाक की बात कैथरीन से कही तो उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. कैथरीन का सारा भ्रम टूट कर चकनाचूर हो गया. कैथरीन को
उन दिनों की यादें सताने लगीं जब उस ने उसी कालेज में दाखिला लिया था जहां अभिजित प्रोफैसर था. और फिर एक शर्त के मुताबिक उस ने अभिजित को अपने प्रेमजाल में ही नहीं फंसाया, बल्कि उस से शादी भी कर ली थी.
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शादी के बाद हनीमून मना कर वे घर में दाखिल हुए तो कैथरीन की सास जानकी ने उस से कहा, ‘देखो कैथरीन, अब तुम इस घर की बहू हो. पर एक बात मैं तुम्हें साफसाफ बता देना चाहती हूं. मेरी रसोई में प्रवेश न करना. मेरी सास छुआछूत बहुत मानती हैं और किसी का छुआ नहीं खातीं.’
‘जी,’ कैथरीन बोली. पर उस का सर्वांग सुलग उठा.
‘एक बात और सवेरे जब उठो तो अपनी नाइटी बदल कर सलवारकमीज या साड़ी पहन कर बाहर आना. घर के बड़ेबूढ़ों का थोड़ाबहुत लिहाज तो करना ही पड़ेगा.’