उस की सोच बड़ी दकियानूसी थी. उस दिन शशि ने उसे दोस्तों से मिलने बुलाया, लेकिन उस रोज कंपनी के एमडी के साथ उस की मीटिंग थी और हमेशा की तरह शशि उसे आने के लिए मजबूर करने लगा, जो वीणा के लिए नामुमकिन था. वह मीटिंग में उलझी रही, जिस कारण उस का मोबाइल साइलैंट मोड पर था. शशि अपने दोस्तों के साथ उस का इंतजार करता रहा. वह बारबार वीणा को फोन करता रहा, लेकिन वीणा फोन नहीं उठा सकी. बस फिर क्या था. शशि का दिमाग घूम गया. वह गुस्से से भरा बारबार मोबाइल का नंबर लगाता रहा. वीणा जब अपने काम से फ्री हुई तो उस ने यों ही मोबाइल देखा. शशि की 20 मिस्ड कौल देख कर वह घबरा उठी. उस ने तुरंत शशि को फोन किया.
शशि ने जैसे ही उस का नंबर देखा गुस्से से आगबबूला हो कर फोन पर बिफर पड़ा, ‘‘वीणा क्या समझती हो तुम खुद को? मैं ने तुम्हें अपने दोस्तों से मिलने बुलाया था न? फिर तुम क्यों नहीं आईं? मेरे ही दोस्तों के सामने मेरा अपमान करना चाहती हो तुम? ऊपर से इतनी बार फोन मिलाया... क्या उठा नहीं सकती थीं... जवाब दो मुझे.’’ ‘‘अरे, यह क्या शशि मैं ने तुम्हें सुबह ही तो बताया था न कि आज मुझे बिलकुल भी फुरसत नहीं है. आज मेरी सर के साथ मीटिंग थी... तुम्हें तो पता ही है न कि मीटिंग के वक्त मोबाइल साइलैंट रखा होता है.’’
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