आर्यन से नेहा की ये बातें बरदाश्त न हुईं तो उस ने गुस्से में आ कर एक चांटा नेहा के गाल पर जड़ दिया.
‘‘कब से समझाने की कोशिश कर रहा हूं, पर तुम हो कि मानने को तैयार ही नहीं हो,’’ उस ने कहा.
‘‘देखा, एक सड़कछाप आवारा लड़की के लिए अपनी पत्नी को मारने में भी शर्म नहीं आई,’’ नेहा रोते हुए चीखी.
‘‘नेहा, तुम ने बदतमीजी की हद कर दी.’’
‘‘हद मैं ने नहीं तुम ने की है,’’ नेहा बोली और फिर बैग उठा कर तनु को खींचते हुए बाहर निकल गई.
आर्यन जानता था कि इस वक्त नेहा उस की कोई बात नहीं मानेगी, इसलिए फिर कुछ न बोला. सोचा 1-2 दिन में गुस्सा ठंडा हो जाएगा तो खुद ही लौट आएगी.
लेकिन 1 हफ्ता गुजर गया, मगर नेहा न तो लौट कर आई और न ही उस ने फोन किया.
इधर अर्पिता ने आर्यन से फोन पर बात करना भी बंद कर दिया था. बसस्टौप पर बस की प्रतीक्षा करते समय भीड़ के पीछे कोने में जा कर खड़ी हो जाती थी ताकि आर्यन उसे देख न सके. जब से आर्यन से उस की फ्रैंडशिप हुई थी तब से अर्पिता उस से सारी बातें शेयर करती थी. कोई प्रौब्लम होती तो वह उस का हल भी सुझा देता. पर अब वह फिर से अकेली हो गई थी, इसलिए फिर से डायरी को अपना दोस्त बना लिया था.
धीरेधीरे नेहा को गए हुए 15 बीत गए तो आर्यन को फिक्र होने लगी. वह सोचता था कि नेहा स्वयं गुस्सा हो कर गई है, उसे स्वयं आना चाहिए. पर अब अपनी ही बातें उसे बेतुकी लगने लगी थीं. नेहा की जगह स्वयं को रख कर देखा तो सोचा शायद वह भी वही करता जो नेहा ने किया. नेहा उसे सचमुच बहुत प्यार करती है. तभी तो अर्पिता की दोस्ती सहन न हुई. खैर, जो हो गया वह हो गया. वह स्वयं नेहा को फोन करेगा और जा कर उसे ले आएगा. मन ही मन निश्चय कर आर्यन उठा और अपने फोन से नेहा का नंबर डायल करने लगा.