व्यक्ति जिस परिवार के लिए सबकुछ करता है, वही उसे खुशी, सम्मान, अपनत्व न दे तो? मणिकांत के साथ ऐसा ही हो रहा था. अपनों की जरूरतें पूरी करते हुए वे स्वयं के लिए चाहते थे मन की खुशी.