एक सौतन के साथ अपने पति को शेयर करने में कितनी हिम्मत चाहिए, यह मैं अब जान पाई हूं. बचपन से ही मैं ने मां को तिलतिल मरते देखा है, पापा से हर दिन लड़ते देखा है और अपने हक के लिए दिनरात कुढ़ते देखा है. जब एक म्यान में दो तलवारें ठूंस दी जाएंगी तो वे एकदूसरे को काटेंगी ही. उसी तरह एक पत्नी के होते हुए दूसरी पत्नी लाई जाएगी तो उन के दिलों में हड़कंप मचना स्वाभाविक है.
पापा को सच में मां से प्यार या सहानुभूति होती तो वे मां की सौतन को घर लाने के बारे में सोचते ही न. जब सबकुछ बरसों तक अनैतिक चलता रहा, फिर माफी मांगने से मेरी मां भला उन्हें कैसे माफ करती. प्रेम में क्षमा न तो दी जा सकती है और न ही मांगने से मिलती है. प्रेम या तो होता है या नहीं होता. कभी खुशी कभी गम वाली बीच की स्थिति में हजारों लोग जीते हैं, उन में प्रेम नहीं बल्कि सैक्स एकदूसरे का काम चलाता है. सैक्स को प्रेम मान लेना शादी की असफलता की बहुत भारी भूल है.
औरतें स्वभाव से भावुक होती हैं. हरेक बात अपने आसपास के लोगों से शेयर कर लेती हैं. हम लोग अभी बच्चे ही थे कि मां और पापा में किसी तीसरी औरत को ले कर ठन गई थी. मां ने उसे कभी नाम से नहीं पुकारा. मां हमेशा उसे ‘वह’ कहती थीं. उसे हमेशा नफरत और हिकारत की नजरों से देखतीं. ‘वह’ पापा के औफिस में काम करती थी. पापा औफिस में सीनियर औफिसर थे. हर तरफ उन का दबदबा था.