विनीत का मुंह हारे हुए जुआरी जैसा हो गया था.
‘‘अगर मैं ने रोहित से दूरी बना भी ली तो आप वापस अपने पुराने ढर्रे पर आ जाओगे, क्योंकि आप दिल से नहीं बदल रहे. सिर्फ मेरे और रोहित के बीच की नजदीकियों के डर से बदलने की बात कर रहे हो...जिस दिन यह डर खत्म हो जाएगा आप फिर अपनी बिंदास हरकतों पर उतर आओगे.’’
‘‘यह अकेले बाहर घुमाने ले जाना, लता भाभी को भी अवौइड करना, मेरे आसपास मंडराते रहना, ये बस मेरे प्रति सच्चे प्यार की वजह से नहीं है, बल्कि यह मुझे और रोहित को ले कर तुम्हारे मन में पनप रही असुरक्षा की भावना की प्रतिक्रिया मात्र है.
‘‘विनीत आज तुम 3 महीने में ही डर कर इतना परेशान हो गए. लेकिन कभी मेरे दर्द का जरा सा भी एहसास नहीं किया, जिसे मैं पिछले 2 सालों से सहती आ रही हूं.’’
‘‘मुझे माफ कर दो अंजलि...मैं सचमुच गलत हूं. मैं अपने डर और ईर्ष्या के कारण ही तुम पर दबाव बनाना चाह रहा था कि तुम रोहित से बात करना बंद कर दो. मैं वास्तव में खुदगर्ज और असुरक्षा की भावना से ग्रस्त व्यक्ति हूं. मुझे माफ कर दो अंजलि,’’ विनीत की आंखें भर आईं.
विनीत के स्वर की सचाई सुन कर और आंखों में पश्चात्ताप के आंसू देख कर एकबारगी अंजलि का मन पिघल गया, लेकिन तुरंत ही उस ने अपनेआप को संभाल लिया और विनीत के सामने से हट गई. यह सब ढोंग है. वह अब विनीत पर किसी भी तरह से भरोसा नहीं कर सकती. रोहित न सिर्फ उस का बहुत अच्छा दोस्त बन चुका है, बल्कि उस के दिल के भी काफी करीब आ गया है. विनीत की लता से नजदीकियों ने अंजलि के मन में जो एक खालीपन और अकेलापन पैदा कर दिया था उसे बहुत हद तक रोहित ने भर दिया था.