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आप जैसी स्त्रियों से मेरी पत्नी की निकटता मुझे गवारा नहीं.’’

आभा अवाक रह गई.

‘‘ए मिस्टर, आप अपने होशोहवास में तो हैं न?’’ उस ने कड़क कर कहा, ‘‘यह क्या ऊलजलूल बकते जा रहे हैं? मेरा मुंह न खुलवाइए. आप का पूरा कच्चाचिट्ठा मुझे मालूम है. आप अपनी पत्नी के साथ जैसा व्यवहार कर रहे हैं उस की मुझे खबर है. यदि मैं पुलिस में शिकायत कर दूं तो आप को जेल की हवा खानी पड़ेगी...’’

‘‘मुझे इस का अधिकार है कि मैं अपनी पत्नी के साथ जैसा चाहे सुलूक करूं. यह हमारा आपस का मामला है. आप अपने काम से काम रखिए और हमारे निजी मामलों में दखल देना बंद कीजिए. नहीं तो मुझ से बुरा कोई न होगा.’’

‘‘अच्छा, अब आप मुझे धमकी देने पर उतर आए. आप मेरा क्या कर लेंगे?’’

‘‘मैं क्या कर लूंगा... मैं आप पर तेजाब फेंक कर आप का हुलिया बिगाड़ दूंगा. आप को गुंडों से पिटवा दूंगा. आप को अगवा करवा दूंगा.’’

जब आभा के पति राम ने यह सब सुना तो उस ने आभा को आगाह किया, ‘‘आभा, तुम क्यों दूसरों के पचड़े में पड़ती हो. बेकार में लेने के देने पड़ सकते हैं. जाहिर है कि वह आदमी पागल है. उस से उलझना ठीक नहीं.’’

‘‘लेकिन मैं चुप कैसे बैठी रह सकती हूं. यह लड़की मेरी अंतरंग सहेली है. इस का इस परदेश में और कौन है?’’

‘‘माना कि वह तुम्हारी प्रिय सहेली है पर मुझे डर है कि कहीं उस की मदद करतेकरते तुम किसी मुसीबत में न फंस जाओ. और मुझे यह भी फिक्र हो रही है डार्लिंग कि तुम हमेशा दूसरों की सोचोगी, तो यह जो बेचारा पति नाम का प्राणी है उस का क्या होगा? कुछ हमारा भी खयाल करो जानेमन,’’ उस ने आभा को अपनी बांहों में लेते हुए कहा.

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