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लेखक- अनिल चाचरा
अर्चना ने अपने को छुड़ाने की कोई खास कोशिश नहीं की, पर नवीन को फौरन ही अपनी बांहों के घेरे से उसे मुक्त करने को मजबूर होना पड़ा.
2 सादी वरदी में पुलिस वाले एक घनी झाड़ी के पीछे से अचानक उन के सामने प्रकट हुए और शिकारी की नजरों से घूरते हुए पास आ गए.
‘‘शर्म नहीं आती तुम दोनों को सार्वजनिक स्थल पर अश्लील हरकतें करते हुए. समाज में गंदगी फैलाने के लिए तुम जैसे लोगों का मुंह काला कर के सड़कों पर घुमाना चाहिए,’’ लंबे कद का पुलिस वाला नवीन को खा जाने वाली नजरों से घूर रहा था.
‘‘बेकार में हमें तंग मत करो,’’ नवीन ने अपने डर को छिपाने का प्रयास करते हुए तेज स्वर में कहा, ‘‘हम कोई गलत हरकत नहीं कर रहे थे.’’
‘‘अब थाने चल कर सफाई देना,’’ दूसरे पुलिस वाले ने उन्हें फौरन धमकी दे डाली.
‘‘मैं पुलिस स्टेशन बिलकुल नहीं जाऊंगी,’’ अर्चना एकदम से रोंआसी हो उठी.
‘‘यह इस की पत्नी नहीं हो सकती,’’ लंबे कद का पुलिस वाला अपने साथी से बोला.
‘‘ऐसा क्यों कह रहे हैं, सर?’’ उस के साथी ने उत्सुकता दर्शाई.
‘‘अरे, अपनी बीवी के साथ कौन इतने जोश से गले मिलने की कोशिश करता है?’’
‘‘इस का मतलब यह किसी और की बीवी के साथ ऐश करने यहां आया है. गुड, हमारा केस इस कारण मजबूत बनेगा, सर.’’
‘‘नवीन, कुछ करो, प्लीज,’’ अर्चना के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं.
‘‘देखिए, आप दोनों को जबरदस्त गलतफहमी हुई है. हम कोई अश्लील हरकत...’’
‘‘कर ही नहीं सकते क्योंकि इन के बीच गलत रिश्ता है ही नहीं मिस्टर पुलिसमैन,’’ अचानक झाड़ी के पीछे से निकल कर उन का एक और सहयोगी मनोज उन के सामने आ गया.