पूर्व कथा
एक दिन शाम को मेघा, मालिनी को पार्क में बैठे 2 वृद्ध अजनबियों को दिखा कर उन के रिश्ते का मजाक उड़ाती है. मालिनी के समझाने पर मेघा नाराज हो कर चली जाती है. तभी उसे बचपन की एक घटना याद आ जाती है.
मालिनी की सहेली रेणु बताती है कि गुड्डन की दादी और आरती के दादाजी के बीच कुछ चक्कर है. अत: वृद्धों के परिवार वाले उन को बुराभला कहते हैं. इस बदनामी को आरती के दादाजी सहन नहीं कर पाते और आत्महत्या कर लेते हैं.
डोरबेल की आवाज सुन कर मालिनी अतीत की यादों से बाहर निकलती है. अगले दिन बेटी के कोचिंग क्लास जाते ही वह पार्क में उस जगह पर जाती है जहां दोनों वृद्ध बैठते थे. पहली ही मुलाकात में वृद्धा यानी मिसेज सुमेधा बताती हैं कि वह रिटायर्ड प्रिंसिपल हैं. हालांकि बेटेबहू उस का बहुत खयाल रखते हैं, लेकिन कामकाजी होने के कारण ज्यादा व्यस्त रहते हैं. बेटी की शादी हो चुकी है और उन्हें मेरी सोशल सर्विस पसंद नहीं है. बातों ही बातों में मालिनी उन के पति के बारे में पूछती है तो वह बताती हैं कि पति को मरे 20 साल हो गए हैं जिन्हें तुम मेरे साथ बैठे देखती हो वह तो शर्माजी हैं.
फिर वह शर्माजी के बारे में बताती हैं कि उन की पत्नी का देहांत हो गया है वह भी अकेले हैं. नौकरीपेशा होने के कारण बेटेबहू समय नहीं दे पाते. इसीलिए खाली समय व्यतीत करने के लिए पार्क में आते हैं. जैसे बच्चों को बच्चों का साथ अच्छा लगता है वैसे ही बुजुर्गों को बुजुर्गों की संगति अच्छी लगती है.