साक्षी और सौरभ ने बड़े नर्म गद्दे वाले डबल बैड पर कुछ देर आराम किया. फिर कसबे में खुद के बैडरूम जितने चमचमाते बाथरूम में फुहारे के नीचे नहाए तो लगा जैसे तनमन खिल गया हो. खुशबू से मन प्रसन्न हो गया. कुछ देर बाद एक नौकर ने दरवाजा नौक कर के बताया कि मेम साहब ब्रेकफास्ट के लिए आप का इंतजार कर रही हैं.
सुबह के 11 बज रहे थे. ब्रेकफास्ट टेबल पर कामिनी और वैभव बैठे थे कि साक्षी और सौरभ ने वहां प्रवेश किया. साक्षी ने एक नजर टेबल पर डाली. अनेक तरह का नाश्ता लगा हुआ था.
‘‘आओ साक्षी, जीजू. ये मेरे पति वैभव,’’ कामिनी ने खड़े होते हुए परिचय करवाया. वैभव की नजरें साक्षी की नजरों से टकराईं तो एक पल को साक्षी की सलोनी सी सूरत को देखता रह गया. कामिनी की खूबसूरती के आगे वैभव को साक्षी में बहुत कुछ नजर आ गया.
सौरभ ने देखा साक्षी की नजरें वैभव पर टिकी हुई हैं. सौरभ बेचैन हो उठा. उस ने वैभव से हैलो कर के हाथ मिलाया.
‘‘और वैभव ये साक्षी और सौरभ जीजू,’’ कामिनी ने उन दोनों का परिचय भी कराया.
‘‘तुम्हारा क्या प्रोग्राम रहेगा कामिनी?’’ वैभव ने नाश्ता करते हुए पूछा.
‘‘भई मेरा प्रोग्राम तो अब साक्षी और जीजू ही तय करेंगे. जब तक दिल्ली में हैं इन के ही साथ रहूंगी,’’ कामिनी ने साक्षी के हाथ में अपना हाथ रखते हुए कहा.
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‘‘ओके, तुम इन्हें खूब घुमाओफिराओ. मुझे तो अभी निकलना है. रात को घर आ गया तो ठीक वरना नाइट स्टे जहां भी रहूंगा, कर लूंगा,’’ वैभव ने कहा.