विक्रम लैंडर और प्रज्ञान घुमंतू का कुल मिला कर वजन 1,500 किलोग्राम था. उन के बहुत से यांत्रिक टुकड़े बहुत बड़े क्षेत्र में फैले थे. लेकिन यांत्रिक टुकड़े अलग ही दिखते थे. आज उन यांत्रिक टुकड़ों से मंजिशी और राजेश को कोई मतलब नहीं था.
राजेश ने 2 छोटे गड्ढों के बीच परछाईं से ढके एक हिस्से पर गौर किया. एक डब्बी जैसी चीज उसे नजर आई. राजेश ने उसे उठा लिया. उस ने मंजिशी को दिखाया. मंजिशी के शरीर में जैसे खुशी की लहर दौड़ पड़ी. उस ने जोर से हामी भरी.
दुर्भाग्यवश, तब तक चीनी अंतरिक्ष यात्री भी उन के पास आ पहुंचा था. दोनों को खुश देख वह मामला समझ गया. मनुष्यता के सामान्य शिष्टाचार छोड़ कर वह क्रुद्ध हो कर राजेश की तरफ लपका और उस से ह-3 की डब्बी छीनने का प्रयास करने लगा.
मंजिशी ने जैसे ही दोनों में हाथापाई होते देखी, वह तुरंत चीनी अंतरिक्ष यात्री के पास आई और अपनी पूरी शक्ति से उसे जोर से धक्का दिया. चीनी यात्री नीचे गिर गया. चीनी यात्री व्यायाम करने वाले हट्टेकट्टे दिखने वाले 6 फुट का इनसान था. वह तुरंत उठ खड़ा हुआ.मंजिशी ने बात बिगड़ते देखी, तो जोर से राजेश से चिल्ला कर कहा, “राजेश, तुम चंद्र मौड्यूल पर वापस जाओ और उस के इंजन शुरू करो. मैं पहले इस से निबटती हूं.”
राजेश को कुछ भी नहीं सूझा. ह-3 डब्बी की रक्षा करना उस का प्राथमिक उद्देश्य था. वह डब्बी को ले कर अपने चंद्र मौड्यूल की ओर भागा. चीनी यात्री उस के पीछे दौड़ा, लेकिन मंजिशी ने छलांग लगा कर उस के पैर पकड़ कर उसे गिरा दिया. चीनी यात्री के गिरने से राजेश को मौका मिल गया और वह काफी दूर निकल गया.