चीनी यान चंद्रमा पर उतर चुका था. काफी दूरी पर था. किसी भी वक्त अब उस में से चीनी अंतरिक्ष यात्री निकल सकते थे. मंजिशी ने अपनी तलाश जारी रखते हुए राजेश से कहा, “ह-3, चंद्रमा पर मौजूद हीलियम-3 के स्त्रोतों का पता लगाने वाला उपकरण है.”
राजेश ने एक पल के लिए सिर उठा कर मंजिशी को देखा, “हीलियम-3...?” फिर अपने ज्ञान को खंगोला और सोचते हुए कहा, “चंद्रमा की सतह की ऊपरी परत में अंतर्निहित है, प्रचुर मात्रा में है. पृथ्वी को उस का चुम्बकीय क्षेत्र सुरक्षित रखता है, लेकिन चंद्रमा पर ऐसा नहीं होने से सौर्य हवा ने बड़ी मात्रा में हीलियम-3 की बमबारी चंद्रमा पर कर दी है.”
मंजिशी ने चीनी यान को देखा. अभी तक उस में से कोई नहीं निकला था, “और तुम को तो पता ही होगा कि चुटकीभर हीलियम-3 से हमारे पूरे देश की ऊर्जा की समस्या का समाधान हो सकता है.” राजेश ने एक गड्ढे से निकल कर दूसरे गड्ढे में तलाशते हुए कहा, “वह तो मुझे पता ही है. लेकिन मुझे नहीं पता था कि ह-3 खोजने वाला उपकरण भी चंद्रयान-2 मिशन पर लगा हुआ है.”
मंजिशी बोली, “नहीं. हमारी तरफ से यह कभी घोषित ही नहीं किया गया. किसी को इस की जानकारी नहीं दी गई थी. सिर्फ ह-3 की डब्बी बनाने वाले वैज्ञानिक को इस की जानकारी थी.” राजेश ने गौर से मंजिशी को देखा, “और तुम्हें भी...”
मंजिशी ने हामी भरी और स्वीकार किया, “और मुझे भी. हमारे इस चंद्र मिशन का यही उद्देश्य है. उस ह-3 उपकरण को वापस सुरक्षित भारत लाना.” दूसरे यान में से एक अंतरिक्ष यात्री अपना अंतरिक्ष सूट पहने यान से उतरता नजर आया.