रोती हुई अनुषा बाथरूम में जा कर मुंह धोने लगी तो सास ने दबी आवाज मे कहा," मैं समझती हूं तुम्हारा दर्द. देखो मैं एक बाबा को जानती हूं. बहुत पहुंचे हुए हैं. वे भभूत दे देंगे या कोई उपाय बता देंगे. सब ठीक हो जाएगा. तुम चलो कल मेरे साथ."
अनुषा को बाबाओं और पंडितों पर कोई विश्वास नहीं था. मगर सास समझाबुझा कर जबरन उसे बाबा के पास ले गई. शहर से दूर वीराने में उस बाबा का आश्रम काफी लंबाचौड़ा था. आंगन में भक्तों की भीड़ बैठी हुई थी. बाबा की आंखें अनुषा को शराब जैसी जहरीली लग रही थी. उस पर बारबार बाबा का भक्तों पर झाड़ू फिराना फिर अजीब सी आवाजें निकालना. अनुषा को बहुत कोफ्त हो रही थी. उसे समझ नहीं आ रहा था कि टीना को उस की जिंदगी से दूर करने में भला बाबा की क्या भूमिका हो सकती है? इस के लिए तो उसे ही कुछ सोचना होगा. वह चुपचाप बैठ कर आगे का प्लान अपने दिमाग में बनाने लगी.
इधर कुछ समय में उस का नंबर आ गया. बाबा ने वासना पूरित नजरों से उस की तरफ देखा और फिर उस के हाथों को पकड़ कर पास बैठने का इशारा किया. अनुषा को यह छुअन बहुत घिनौनी लगी. वह मुंह बना कर बैठी रही. सास ने समस्या बताई. बाबा ने झाड़ू से उस की समस्या झाड़ देने का उपक्रम किया.
फिर बाबा ने उपाय बताते हुए कहा, "बच्ची तुम्हें 18 दिन केवल एक वक्त खा कर रहना होगा और वह भी नमकीन नहीं बल्कि केवल मीठा. इस के साथ ही 18 दिन का गुप्त अनुष्ठान भी चलेगा. काली बाड़ी के पास वाले मंदिर में रोजाना 11बजे मैं एक पूजा करवाउंगा. इस में करीब ₹90,000 का खर्च आएगा."