न जाने क्यों बहुत दिनों बाद यह प्यार की फुहार हो रही थी. क्या यह गलत हैं मन ही मन में मना कर रही थी पर शरीर की भी एक भूख होती है, यह मैं ने उसी दिन जाना और न चाहते हुए भी मेरे शरीर ने उस का साथ दिया और बहुत महीनों बाद या यों कहें वर्षों बाद शरीर रुई की तरह हलका महसूस हो रहा था.
फिर अपने मन की करने के बाद वह बहुत प्यार से बोला, ‘‘बेबी हम फोन पर रोज बात तो करते हैं, इसलिए मैं अपना समय बातों में बरबाद नहीं करना चाहता हूं.’’
मुझे थोड़ा सा बुरा लग रहा था पर फिर भी मैं सुन रही थी. जाने से पहले उस ने मेरे माथे पर चुंबन अंकित किया, ‘‘तुम मेरे लिए बहुत खास हो.’’
यह सुन कर फिर से मैं लट्टू हो गई कि मैं किसी के लिए खास हूं.
उस ने घर जाने के बाद मुझ से मेरे अनुभव के बारे में पूछा, मैं ने भी मन ही मन में सोचा क्यों न मैं भी उस की चीयर गर्ल बन जाऊं, मैं ने हंसते हुए कहा, ‘‘रुई जैसा हलका अनुभव कर रही हूं वर्षों बाद.’’
उस ने बच्चों की तरह उत्साहित होते हुए कहा, ‘‘सच में बेबी’’ और फिर फोन पर ही किस की आवाज आई और फोन रख दिया.
रोज मेरा मन उस से बात करने के लिए बेताब होने लगा. मैं रोज मैसेज कर के पूछती. कभीकभी मैसेज पढ़ता ही नहीं था और कभीकभी पढ़ कर भी इग्नोर कर देता. कभीकभी मैसेज करता ‘जरूर जानम’. वह मैसेज पढ़ने के बाद वह पूरा दिन या रात मेरे लिए खास हो जाती, मैं पागलों की तरह खुश हो जाती. वह अपनी सहूलियत के मुताबिक बातें करता, कभी बातें जीवनसाथी से संबंधित होतीं तो कभी जीवनदर्शन से संबंधित और कभीकभी वे बहुत ही बेलगाम होतीं शायद उन बेलगाम बातों को हम अश्लील की पराकाष्ठा में डाल सकते हैं.