एक दिन फेसबुक पर सैम की फ्रैंड रिक्वैस्ट देख कर कनिका को बहुत आश्चर्य हुआ. कुछ सोच कर उस ने उसे स्वीकार कर लिया.“थैंक्स फौर ऐक्सेप्टिंग मी ऐज फ्रैंड.” तुरंत ही मैसेंजर पर सैम का मैसेज उभरा. कनिका बिना कोई रिप्लाई दिए औफलाइन हो गई.
“हेलो.”“हाउ आर यू?”“हैव यू स्टार्टेड औफिस?”“कैन वी चैट औन फोन?”“प्लीज, गिव योर मोबाइल नंबर.”दूसरे दिन सुबह सैम के इतने सारे मैसेज देख कर कनिका मुसकराए बिना न रह सकी. उस ने अपना मोबाइल नंबर उसे मैसेज कर दिया.
रात 11 बजे जब सब सो गए, तब कनिका औनलाइन थी.“मे आई कौल यू?” सैम का मैसेज दिखाई दिया.
“ओके,” कनिका ने रिप्लाई करने से पहले मोबाइल को साइलैंट मोड पर कर दिया. मोबाइल घरघराया. अनजान नंबर था. कनिका ने कौल रिसीव की. यह सैम ही था. थोड़ी देर औपचारिक बातें हुई. कनिका को सैम से बात कर के अच्छा लगा. आगे भी टच में रहने की अनुमति लेने के बाद सैम ने फोन रख दिया.
अब हर रोज देररात सैम के फोन आने लगे. कनिका को भी उस के कौल्स का इंतज़ार रहने लगा था. सैम टूटीफूटी हिंदी में उस से पूरे दिन का ब्योरा पूछता और कनिका टूटीफूटी इंग्लिश में उसे बताती. हो सकता है यह बातचीत सैम के लिए उस के शोध का एक हिस्सा मात्र हो, लेकिन कनिका उस से बात कर के बेहद तनावमुक्त महसूस करती थी. अनजान व्यक्ति के सामने खुलना वैसे भी काफी राहत भरा होता है क्योंकि यहां राज के जगजाहिर होने का भय नहीं होता.
“जलज तो अब रहे नहीं. कनिका का यहां अकेले दम घुटता होगा. आप कहें तो हम इसे अपने साथ ले जाएं,” एक दिन बेटी से मिलने आए कनिका के मांपापा ने माधवी से इजाजत मांगी. कनिका भी इस बोझिल माहौल से निकलना चाहती थी.