‘‘अभि, मैं आज कालिज नहीं आ रही. प्लीज, मेरा इंतजार मत करना.’’
‘‘क्यों? क्या हुआ वेदश्री. कोई खास समस्या है?’’ अभि ने एकसाथ कई प्रश्न कर डाले.
‘‘हां, अभि. मानव की आंखों की जांच के लिए उसे ले कर डाक्टर के पास जाना है.’’
‘‘क्या हुआ मानव की आंखों को?’’ अभि की आवाज में चिंता घुल गई.
‘‘वह कल शाम को जब स्कूल से वापस आया तो कहने लगा कि आंखों में कुछ चुभन सी महसूस हो रही है. रात भर में उस की दाईं आंख सूज कर लाल हो गई है.
आज साढ़े 11 बजे का
डा. साकेत अग्रवाल से समय ले रखा है.’’
‘‘मैं तुम्हारे साथ चलूं?’’ अभि ने प्यार से पूछा.
‘‘नहीं, अभि...मां मेरे साथ जा रही हैं.’’
डा. साकेत अग्रवाल के अस्पताल में मानव का नाम पुकारे जाने पर वेदश्री अपनी मां के साथ डाक्टर के कमरे में गई.
डा. साकेत ने जैसे ही वेदश्री को देखा तो बस, देखते ही रह गए. आज तक न जाने कितनी ही लड़कियों से उन की अपने अस्पताल में और अस्पताल के बाहर मुलाकात होती रही है, लेकिन दिल की गहराइयों में उतर जाने वाला इतना चित्ताकर्षक चेहरा साकेत की नजरों के सामने से कभी नहीं गुजरा था.
वेदश्री ने डाक्टर का अभिवादन किया तो वह अपनेआप में पुन: वापस लौटे.
अभिवादन का जवाब देते हुए डाक्टर ने वेदश्री और उस की मां को सामने की कुरसियों पर बैठने का इशारा किया.
मानव की आंखों की जांच कर
डा. साकेत ने बताया कि उस की दाईं आंख में संक्रमण हो गया है जिस की वजह से यह दर्द हो रहा है. आप घबराइए नहीं, बच्चे की आंखों का दर्द जल्द ही ठीक हो जाएगा पर आंखों के इस संक्रमण का इलाज लंबा चलेगा और इस में भारी खर्च भी आ सकता है.