बहुत देर से ताप्ती मिहिम के लाए प्रस्ताव पर विचार कर रही थी. रविवार की शाम उसे अपने अकेलेपन के बावजूद बहुत प्रिय लगती थी. आज भी ऐसी ही रविवार की एक निर्जन शाम थी. अपने एकांतप्रिय व्यक्तित्व की तरह ही उस ने नोएडा ऐक्सटैंशन की एक एकांत सोसाइटी में यह फ्लैट खरीद लिया था. वह एक प्राइवेट बैंक में अकाउंटैंट थी, इसलिए लोन के लिए उसे अधिक भागदौड़ नहीं करनी पड़ी थी. कुछ धनराशि मां ने अपने जीवनकाल में उस के नाम से जमा कर दी थी और कुछ उस ने लोन ले कर यह फ्लैट खरीद लिया था.
मिहिम जो उस के बचपन का सहपाठी और जीवन का एकमात्र आत्मीय था उस के इस फैसले से खुश नहीं हुआ था. ‘‘ताप्ती तुम पागल हो जो इतनी दूर फ्लैट खरीद लिया? एक बार बोला तो होता यार... मैं तुम्हें इस से कम कीमत में घनी आबादी में फ्लैट दिलवा देता,’’ मिहिम ने कुछ नाराजगी के साथ कहा. ‘‘मिहिम मैं ने अपने एकांतवास की कीमत चुकाई है,’’ ताप्ती कुछ सोचते हुए बोली.
मिहिम ने आगे कुछ नहीं कहा. वह अपनी मित्र को बचपन से जानता था. ताप्ती गेहुएं रंग की 27 वर्षीय युवती, एकदम सधी हुई देह, जिसे पाने के लिए युवतियां रातदिन जिम में पसीना बहाती हैं, उस ने वह अपने जीवन की अनोखी परिस्थितियों से लड़तेलड़ते पा ली थी. शाम को मिहिम और ताप्ती बालकनी में बैठे थे. अचानक मिहिम बोला, ‘‘अंकल का कोई फोन आया?’’ ताप्ती बोली, ‘‘नहीं, उन क ा फोन पिछले 4 माह से स्विच्ड औफ है.’’ मिहिम फिर बोला, ‘‘देखो तुम मेरी ट्यूशन वाली बात पर विचार कर लेना. हमारे खास पारिवारिक मित्र हैं आलोक.