वह घबरा सी गई, ‘‘वकील साहब ही उस समय बुलाते हैं.’’ मैं ने कहा, ‘‘पर यह समय तो अदालत का होता है. वह यहां कैसे रहते हैं?’’मैडम जिस दिन साहब के केस नहीं होते. उसी दिन बुलाते हैं.’’
‘‘यानी वे तुम्हें फोन करते हैं. आमतौर पर क्लाइंट ही फोन करते हैं वकीलों को,’’ मैं ने कड़क आवाज में पूछा. ये आवाज मैं ने अपने ससुर से सीख ली थी.
‘‘जीजी वे मु?ो अच्छे लगते हैं, इसलिए मैं उन की डायरी देखती रहती थी और उस दिन आती थी जिस दिन उन का अदालत में केस न हो,’’ वह सफाई देती बोली.
‘‘अभी तो तुम कह रही थी कि सुयश तुम्हें फोन कर के बुलाते हैं. अब उलटा कह रही हो. यह ?ाठ क्यों बोल रही हो,’’ मैं ने अपनी आवाज कड़क बनाए रखते हुए पूछा.
‘‘जीजी, कभी मैं फोन करती थी तो वे इस समय बुला लेते थे.’’
‘‘ये बुला लेते थे या तुम धमक जाती थी? सच बोलो?’’
‘‘नहीं मैडम मैं सच कह रही हूं. मैं तो वैसे ही रेप की मारी हूं. समाज में मेरी कोई इज्जत नहीं है. मैं भला किस खेत की मूली हूं,’’ वह रोआंसे शक्ल में बोली.
‘‘अच्छा अपना मोबाइल दो,’’ मैं ने उस का मोबाइल देते हुए कहा.
अब वह चौकन्नी हो गई. उसे पता लग गया कि मैं ने कुछ पकड़ा है. क्या, यह मु?ो नहीं मालूम. वह मु?ा से मोबाइल छीनने बढ़ी ही थी कि मैं ने डपट कर कहा, ‘‘चुप बैठ जाओ. साहब की असिस्टैंट और स्टाफ यहीं है. मेरे बुलाते ही आ जाएंगे.’’
अब वह अचानक रोने लगी, ‘‘मैडम साहब से हमें बचा लो. साहब हमें छेड़ते हैं कि हम उन के साथ सोएं वरना केस खराब कर देंगे... मोबाइल में देख लो. उन की रिकौर्डिंग की है.’’