‘‘मां, मां...’’ लगभग चीखती हुई रूबी अपना बैग जल्दीजल्दी पैक करने लगी. मिसेज सविता उसे बैग पैक करते देख अचंभित हो बोलीं, ‘‘यह कहां जा रही है तू?’’
‘‘मां, बेंगलुरु में जौब लग गई है, वह भी 4 लाख शुरुआती पैकेज मिल रहा है. कल की फ्लाइट से निकल रही हूं.’’
सविता बोलीं, ‘‘अकेली कैसे रहेगी इतनी दूर? कोईर् और भी जा रहा है क्या?’’
रूबी मुसकराती हुई बोली, ‘‘पता है तुम क्या पूछना चाह रही हो. हां, रविश की जौब भी वहीं है. उस से बहुत सहारा मिलेगा मुझे.’’
इस पर सविता बोलीं, ‘‘तू रहेगी कहां? कोई फ्लैट या किराए का घर देख लिया है या नहीं?’’
अब रूबी की चंचल मुसकान गायब हो गई और मां को पलंग पर बैठाते हुए वह बोली, ‘‘मां, मैं और रविश वहां साथ ही रहेंगे.’’ यह सुन कर तो मां ऐसे उछल पड़ीं जैसे कि पलंग पर स्ंिप्रग रखी हो और उन के मुंह से बस यही निकला, ‘‘क्या? पागल तो नहीं हो गई तू, लोग क्या कहेंगे?’’
रूबी बोली, ‘‘जिन लोगों को तुम जानती हो, उन में से कोई बेंगलुरु में नहीं रहता, टैंशन नौट.’’
सविता ने कहा, ‘‘मति मारी गई है तेरी, भेडि़या और भेड़ कभी एक थाली में नहीं खा सकते. क्योंकि भेड़ के मांस की खुशबू आ रही हो तो भेडि़या घासफूस खाने का दिखावा नहीं करता.’’
इस पर रूबी बोली, ‘‘मां, इस भेड़ को भेडि़यों को काबू में रखना आता है. हम साथ रहेंगे अपनीअपनी शर्तों पर, शादी नहीं कर रहे हैं.’’
गुस्से में सविता बोलीं, ‘‘अरे नालायक लड़की, छुरी सेब पर गिरे या सेब छुरी पर, नुकसान सेब का ही होता है, जवानी की उमंग में तू यह क्यों नहीं समझ रही है?’’