डाक्टर बोस ने विनय की सारी बात सुनने के बाद तुरंत अपनी सैक्रेटरी को कैबिन में बुलाया और कहा, ‘‘अगले 2 दिन की मेरी सारी अपौइंमैंट कैंसिल कर दो.’’
डाक्टर बोस ने विनय से कहा, ‘‘सर आप चिंता मत करिए. मैं कल ही बैंगलुरु पहुंच जाऊंगा.’’
विनय ने हाथ जोड़ कर उन्हें थैंक्यू कहा और उठ कर जाने लगा तो डाक्टर बोस ने कहा, ‘‘सर मेरी फीस.’’
विनय वापस मुड़ा और बोला, ‘‘सौरी डाक्टर मैं इस बारे में बात करना भूल गया.’’
डाक्टर बोस ने कहा, ‘‘कोई बात नहीं. आप एक काम करिए एक खाली चैक पर अपने साइन कर के यहां छोड़ दीजिए.’’
विनय सोचने लगा इन नई पीढ़ी के डाक्टरों को सिर्फ पैसों से मतलब है. इंसान की भावनाओं और तकलीफ से इन्हें कुछ लेनादेना नहीं. उस ने अपने बैग से चैकबुक निकाल एक चैक फाड़ा और उस पर अपने साइन कर के टेबल पर रख दिया.
अगले दिन डाक्टर बोस बैंगलुरु पहुंच गए. उन्होंने अस्पताल जा कर शिखा के
सारे टैस्ट एक बार फिर करवाए और रिपोर्ट आने के बाद दूसरे दिन शिखा का औपरेशन कर दिया. औपरेशन सफल रहा.
विनय डाक्टर बोस को थैंक्यू बोलने के लिए उन से मिलने पहुंचा तो पता चला कि वे औपरेशन करने के एक घंटे बाद ही मुंबई वापस चले गए.
शिखा थोड़े दिन अस्पताल में रहने के बाद ठीक हो कर घर आ गई थी. विनय शिखा को डाक्टर बोस के बारे में बताते हुए कह रहा था
कि थोड़ा अजीब सा रवैया लगा मुझे उन का पर इतनी सी उम्र में इतना बड़ा नाम कमाना कोई छोटी बात नहीं है. तारीफ के लायक तो है