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नीली आंखें मैं ने फिल्मों में नायक और नायिकाओं की देखी थीं. वास्तविक जीवन में पहली बार उस की नीली आंखें देखीं जब वह बैंक में मुझे पहली बार मिली थी.

‘‘सर, मैं ब्यूटीपार्लर खोलना चाहती हूं, आप के बैंक से लोन चाहिए.’’ अपने केबिन में बैठा, मैं एक जरूरी फाइल देख रहा था. यह स्वर सुन कर मैं ने अपना चेहरा ऊपर उठाया तो उस 24-25 वर्षीया युवती को देख कर ठगा सा रह गया. टाइट जींस, चुस्त टौप, खुले लहराते बाल, देखने में अति सुंदर, साथ ही, उस की नीली आंखें जिन में न जाने कैसी कशिश और सम्मोहन था कि मैं उन के गहरे समंदर में गोते लगाने लगा.

‘‘सर,’’ उस ने कुछ जोर दे कर लेकिन कोमल स्वर में कहा तो मैं सचेत हो गया, ‘‘हां, कहिए, कैसे?’’

‘‘जी, मेरा नाम मीठी है. मैं ब्यूटीपार्लर खोलना चाहती हूं, आप के बैंक से लोन चाहिए.’’

‘‘कितना लोन चाहिए?’’

‘‘5 लाख रुपए. इस के लिए मुझे क्या औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी,’’ बहुत ही गंभीर और सधे स्वर में उस ने पूछा.

‘‘इस के लिए आप को अपनी किसी प्रौपर्टी के कागजात देने होंगे. एक गारंटर की भी जरूरत पड़ेगी. और हां, वह प्रौपर्टी मुझे देखनी भी पड़ेगी तभी उस के आधार पर कार्यवाही आगे बढ़ेगी.’’

‘‘ठीक है सर, हमारा घर है जो कि मां के नाम है. ऊपरी हिस्से में हम रहते हैं. नीचे के हिस्से में ब्यूटीपार्लर खोलने की सोची है. आप जब चाहें हमारा घर देख सकते हैं,’’ उस ने उत्साहित स्वर में कहा, ‘‘तो सर, आप कब आ रहे हैं हमारा घर देखने?’’

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