श्रेयांश के सूखे जीवन में पुरवाई के झोंके की तरह मंजरी ने प्रवेश किया था. दोनों दिल की गहराई से एकदूसरे के प्यार में डूबे थे लेकिन काम की व्यस्तता धीरेधीरे मंजरी को श्रेयांश से दूर करती गई. अब श्रेयांश के पास रह गया था सिर्फ मंजरी का एहसास.