दिल्ली आ कर पढ़ाई करना सुधा के लिए किसी सपने से कम न था. अनजान शहर में सिर्फ मनोज भैया के सहारे अपना सपना पूरा करने की क्या कीमत सुधा को चुकानी पड़ रही थी.