सवाल-
मेरे पिता की स्पाइनल डिस्क काफी क्षतिग्रस्त हो गई है. डाक्टर ने सर्जरी कराने को कहा है. मैं जानना चाहती हूं कि ओपन सर्जरी की तुलना में मिनिमली इनवेसिव सर्जरी कितनी बेहतर है?
जवाब-
जिन मरीजों की डिस्क बहुत क्षतिग्रस्त हो गई हो उन्हें स्पाइन सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है. आजकल मिनिमली इनवेसिव डिकंप्रैशन और मिनिमली इनवेसिव स्टैबिलाइजेशन प्रक्रियाओं का चलन काफी बढ़ा है. ओपन सर्जरी की तुलना में यह काफी सुरक्षित और प्रभावकारी विकल्प है. इस में स्पाइन के आसपास की मांसपेशियों को बड़ेबड़े चीरों के द्वारा काटने और अलग करने की जरूरत नहीं पड़ती है. इस में छोटा चीरा लगा कर ही सर्जरी की जा सकती है.
मिनिमली इनवेसिव सर्जरी के साइड इफैक्ट्स कम होते हैं और रिकवर होने में भी कम समय लगता है.
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रीढ़ की हड्डी का ट्यूमर एक गंभीर समस्या है. इसका सही समय पर उचित इलाज न किया जाए, तो यह लकवा का कारण बन सकता है. ट्यूमर्स कई प्रकार के होते हैं और उनके इलाज भी भिन्न-भिन्न हैं.
कई प्रकार के ट्यूमर्स के ठीक होने की संभावना आज कुछ वर्ष पूर्व के मुकाबले कहीं अधिक है. ये ट्यूमर नियोप्लाज्म नामक नए टिश्यूज की अस्वाभाविक वृद्धि हैं. सामान्यत: नियोप्लाज्म टिश्यूज दो तरह के होते हैं, बिनाइन (जो कैंसरग्रस्त नहीं होते) या मैलिग्नेंट (जो कैंसरग्रस्त होते हैं). किसी अन्य अंग से फैलने वाला कैंसर मेटास्टेसिस ट्यूमर हो सकता है.
स्पाइनल ट्यूमर कैसे पहचानें :
- पीठ और टांगों का दर्द हो सकता है.
- टांगों या बांहों में कमजोरी होना और इनमें सुन्नपन महसूस करना.
- सियाटिका की समस्या और आंशिक रूप से लकवा लगना.
- मल-मूत्र संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.
जांच और इमेजिंग तकनीक एम.आर. आई. जांच से पता चलता है कि ट्यूमर तंत्रिकाओं या नव्रस पर कहां-कहां तक दबाव डाल रहा है. इसके अलावा सी.टी. स्कैन, टेक्नीशियम बोन स्कैन, सी.टी. गाइडेड बायोप्सी या एफएनएसी द्वारा भी ट्यूमर की जांच की जाती है.