शशि को अपनी भारतीय संस्कृति, रीतिरिवाजों पर बड़ा फख्र था और यही सब वह जूली को दिखाना चाहती थी. लेकिन जब वह जूली के विवाह की 40वीं वर्षगांठ के आयोजन में शामिल हुई और विदेशी माहौल में उस के परिवार का सौहार्द देखा तो वह सोचने पर मजबूर हो गई.