यदि आप कैंसर को एक चुनौती के रूप में लेती हैं और यह तय करती हैं कि आप को इस से लड़ना ही है, छुटकारा पाना ही है तो यह मुश्किल नहीं है. इस का ताजा उदाहरण हैं आनंदा शंकर जयंत, जिन्होंने अपनी कीमो थेरैपी के दौरान भी डांस प्रैक्टिस को जारी रखा और अपने पैशन से कैंसर पर जीत हासिल की. पेश हैं, आनंदा से हुई मुलाकात के कुछ अहम अंश:
कैंसर का पता चलने पर आप की क्या प्रतिक्रिया रही?
मैं काफी उदास हो गई. घर आ कर रोई भी, पर इसलिए नहीं कि मुझे ब्रैस्ट कैंसर है, बल्कि इसलिए कि इस की वजह से मेरे डांस में गैप आ जाएगा, मैं डांस नहीं कर पाऊंगी. दरअसल, जब आप कला के क्षेत्र से ब्रेक लेते हैं तो आप खत्म से हो जाते हैं, पर मैं कला को नहीं छोड़ना चाहती थी. अत: मैं इस सोच के साथ आगे बढ़ी कि कुछ भी हो जाए, लेकिन मुझे इस कठिनाई से बाहर निकलना ही है.
उस वक्त कई तरह की बातें दिमाग में आ रही थीं. अचानक मेरे दिमाग में एक खयाल आया और मैं ने अपने पति जयंत से पूछा कि क्या यह अंत है मेरे जीवन का, नहींनहीं मेरे डांस का? तो उन्होंने प्यार से कहा कि तुम बस ट्रीटमैंट लो. सब ठीक हो जाएगा. उन का पौजिटिव व्यवहार देख कर मैं ने निर्णय लिया कि मैं कैंसर को अपने ऊपर हावी नहीं होने दूंगी. अत: मैं ने अपनेआप से तेज आवाज में 3 बातें कहीं-
पहली यह कि कैंसर मेरी जिंदगी का सिर्फ एक पन्ना है, मैं इसे पूरी किताब नहीं बनने दूंगी, दूसरी यह कि मैं इसे अपनी जिंदगी से बाहर कर दूंगी न कि अपनी जिंदगी में शामिल होने दूंगी और तीसरी यह कि मैं कभी यह सवाल नहीं करूं गी कि मैं ही क्यों?