भंबला हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे शहर से मायानगरी में आना और इंडस्ट्री में आ कर बिना किसी सपोर्ट के अभिनेत्री के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाना सब के बस की बात नहीं है, लेकिन कंगना ने धीरे धीरे ही सही खुद को प्रूव करने के साथ सफलता का खिताब भी पाया है. आज वे छोटे शहरों की लड़कियों के लिए मिसाल बन चुकी हैं. आइए, कंगना के फिल्मी सफर और विचारों को और करीब से जानते हैं:
इंडस्ट्री में आप की ऐंट्री कैसी रही और आप के आने के बाद कितनी बदली है इंडस्ट्री?
कह सकते हैं कि मैं ने इंडस्ट्री में बतौर बागी कदम रखा, क्योंकि मैं अपने घर से बगावत कर के और भाग कर यहां आई थी. परिवार में कोई नहीं चाहता था कि मैं फिल्म इंडस्ट्री में काम करूं. लेकिन मेरे घर वाले जानते थे कि मैं जिद्दी हूं और मुंबई जा कर ही दम लूंगी. जब मैं ने इंडस्ट्री में ऐंट्री की थी उस वक्त इंडस्ट्री कुछ खास अच्छी नहीं थी. बहुत ऐसी फिल्में थीं, जिन का कंटैंट अच्छा था, लेकिन उन्हें देखने वाला कोई नहीं था. कह सकते हैं कि अच्छी फिल्मों के लिए मार्केट ही नहीं थी. 2004 से इंडस्ट्री में बदलाव आने लगे. फिल्मों का कलैक्शन अचानक बढ़ने लगा. मल्टीप्लैक्स सिनेमा जाने वालों की रुचि भी फिल्मों की ओर बढ़ने लगी. लोग जैसी फिल्में देखना चाहते थे वैसी फिल्में बनने लगीं. उसी वक्त मेरी फिल्म ‘क्वीन’ आई. तब मुझे लगा कि यह फिल्म नहीं चलेगी और मेरा कैरियर खत्म हो जाएगा. क्योंकि तब उस टाइप की फिल्म नहीं चलती थी, लेकिन ‘क्वीन’ के हिट होने के बाद ऐसी फिल्मों का चलन बढ़ गया.