कहा जाता है कि बच्चे कच्ची मिट्टी के समान होते हैं. उन्हें क्या रूप देना है यह आप के ऊपर निर्भर करता है. बड़ा हो कर बच्चा अच्छे व्यक्तित्व का स्वामी बने , उन्नति करे और आप का नाम रोशन करे इस की चाह तो हर मांबाप को होती है. मगर ऐसा मुमकिन तभी होगा जब आप शुरू से बच्चे की अच्छी परवरिश पर ध्यान दें. अच्छी परवरिश के लिए दूसरी बातों के साथसाथ एक बात काफी अहम है जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और वह है बच्चों को रिस्पैक्ट देना.
- बच्चे को कभी उस के छोटे भाई/बहन के आगे न डांटें
यदि आप के बच्चे ने कोई काम आप के मनमुताबिक नहीं किया, उस ने कोई शरारत कर दी , नंबर अच्छे नहीं आए या किसी और कंपटीशन में पिछड़ गया या फिर उस के झूठ बोलने पर आप को गुस्सा आया हो, बात कितनी भी बड़ी हो पर बच्चे को कभी उस के छोटे भाई बहनों के आगे अपमानित न करें. क्योंकि छोटा भाई/बहन जो बड़े को आप से डांटमार खाता हुआ देख रहा है, समय आने पर खुद भी बड़े की कद्र करना छोड़ देगा। छोटे भाई/बहन की नजर में बड़े का सम्मान घट जाएगा. वह बड़े भाई/बहन का मजाक उड़ाएगा और बड़े के मन में कुंठा बैठती जाएगी. इसलिए यदि बड़े बच्चे को कुछ समझाना है तो छोटे के आगे नहीं बल्कि अकेले में कहें.
2. दूसरों के आगे आपा न खोएं
मान लीजिए बच्चे ने आप की कोई जरूरी चीज खो दी या कोई बड़ी गलती कर दी जिस के बारे में आप को किसी और से पता चलता है. खबर मिलते ही एकदम से बच्चे पर चीखनेचिल्लाने लगे यह उचित नहीं. 10 लोगों के बीच बच्चे को कभी भी अपमानित न करें. बच्चे को आराम से अपने पास बुलाए और प्रयास करें कि कमरे में अकेले में बैठ कर उस से बात करें. एकदम से आपा खोने के बजाय बच्चे से उस के द्वारा की गई गलती के बारे में बताएं और उस का जवाब सुने. हो सकता है कि परिस्थितिवश ऐसा हुआ हो. उसे अपने बचाव का मौका दे. उस का पक्ष सुनने के बाद फैसला लें कि बच्चे की गलती है या नहीं. बच्चे की गलती है तो भी उसे मारपीट करने के बजाय तार्किक तरीके से समझाएं. उसे अपनी गलती का एहसास कराएं और वादा करवायें कि वह आगे से ऐसा नहीं करेगा. प्यार से समझाई गई बात का असर बहुत गहरा पड़ता है पर मारपीट कर समझाई गई बात बच्चे में क्षोभ और विद्रोह के भाव पैदा करते हैं या फिर वह डिप्रेस्ड रहने लगता है.