बौलीवुड में ऐसे कई अभिनेता हुए हैं जो हीरो बनते ही आसमान में उड़ने लगते हैं. सितारे बनते ही उनके नखरे शुरू हो जाते हैं. इन सितारों पर स्टारडम भाड़ी पड़ने लगता है. लेकिन हिंदी सिनेमा जगत में कुछ ऐसे भी सितारे हुए, जो हमेशा जमीन से जुड़े रहे.
80 के दशक ने हिंदी सिनेमा को कई दिग्गज कलाकार दिए हैं. उस वक्त अनिल कपूर, संजय दत्त, सनी देओल, नसीरउद्दीन शाह जैसे कई दिग्गज कलाकार बौलीवुड पर राज कर रहे थे. उसी दौर में इन सब सितारों के बीच मुंबई की एक चौल में रहने वाला लड़का स्टार बन गया. इस लंबे-चौड़े लड़के की सादगी ने पर्दे पर सबका दिल ले लिया. वह लड़का कोई और नहीं जैकी श्राफ थे.
जैकी श्राफ की जिंदगी किसी फिल्म से कम नहीं है. गरीबी और तंगहाली में जैकी का आधा जीवन बीता. उन्होंने खुद अपनी किस्मत लिखी, फिल्मों में आए और अपनी जगह बनाई. जैकी श्राफ ने फिल्म ‘स्वामी दादा’ (1982) से बौलीवुड में डेब्यू किया. लेकिन बतौर लीड पहला ब्रेक उन्हें सुभाष घई की फिल्म ‘हीरो’ से मिला.
फिल्म ‘हीरो’ ने जैकी श्राफ को हीरो बना दिया. इस फिल्म ने जैकी की जिंदगी बदल दी. हालात ऐसे बने कि प्रोड्यूसर-डायरेक्टर जैकी श्राफ के आगे-पीछे चक्कर काटने लगे. उनके घर मिलने वालों का तांता लगा रहता. प्रोड्यूसर्स को जैकी दा से मिलने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता था. उस दौर में जैकी को लेकर ऐसा क्रेज था कि अगर वो टायलेट में भी होते थे, तो निर्माता-निर्देशक उन्हें फिल्म औफर करने के लिए टायलेट के बाहर इंतजार करते थे.