जितनी तेजी से कोरोना वायरस फैल रहा है, उसने किसी देश, किसी जगह को नहीं छोड़ा है , उतनी ही तेजी से फेक और अधपकी सूचनाएँ भी फैल रही हैं. और हम भी अपना दिमाग लगाए बिना इन सूचनाओं पर विश्वास कर रहे हैं. जो सिर्फ हमें गलत जानकारियां देकर सच को झूट और झूट को सच मानने पर मजबूर कर रही हैं. ऐसे कठिन समय में आप फेक न्यूज़ के जाल में न फंसे रहें , इसके लिए हम आपको कोरोना वायरस से जुड़े मिथ्स और फैक्ट्स से रूबरू करवाते हैं. जानते हैं इनके बारे में.
मिथ 1
- कोरोना वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन तैयार हो गई है?
फैक्ट - अभी तक ऐसी कोई वैक्सीन तैयार नहीं की गई है , जो कोरोना वायरस को जड़ से ख़तम करें. हां , इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता कि कोरोना वायरस की वैक्सीन को बनाने को लेकर साइंटिस्ट्स जी जान से जुड़े हुए हैं. लेकिन अभी तक ऐसी कोई वैक्सीन तैयार नहीं हुई है जो इंसान के लिए पूरी तरह सेफ और कोरोना वायरस से लड़ने में पूरी तरह से सक्षम हो. क्योकि किसी भी वैक्सीन को बनने में कम से कम साल भर का समय लगता है.
इम्पीरियर कॉलेज लंदन के साइंटिस्ट प्रोफेसर रोबिन का कहना है कि कोई भी वैक्सीन शुरुआती समय में वायरस को सिर्फ रोक सकती है, ताकि बीमारी और न फेले. फिर इसके बाद ऐसी वैक्सीन तैयार की जाती है , जो इंसान के शरीर में मौजूद वायरस को पूरी तरह खत्म करने में सक्षम हो.