वाकई इंसान की आंखें बहुत कुछ कहती हैं. जो बात हम लबों से नहीं कह पाते वह बात खामोश अल्फाजों में आंखें कह जाती हैं. किसी को पता भी नहीं चलता और आंखों ही आंखों में दिल मिल जाते हैं. सिर्फ प्यार ही नहीं वरन अपने गम , दर्द , नफरत या जलन की आग भी आंखें बखूबी जताती हैं.
आज कल कोरोना काल में जब लबों पर परदे पड़े हैं तो खामोशी से अपना हाल ए दिल बताने के लिए आंखों का सहारा लीजिए. एक अनजान सी मुलाक़ात में जब चेहरे पर मास्क का परदा गिरा हो तो अपने भावों को व्यक्त करने का सब से खूबसूरत जरिया आंखें ही हैं. आंखों से बातें करें , आंखों आंखों में बातें करें.
अपने मनोभावों को प्रगट करने का सब से आसान और महत्वपूर्ण जरिया आंखें हैं.
आंखों के जरिए बहुत आसानी से व्यक्ति की बॉडी लैंग्वेज को भांपा जा सकता है और उस के मनोभावों का पता लगाया जा सकता है. आंखें इंसान की रूह का आईना होती हैं. याद कीजिए पुरानी हीरोइनों का अंदाज, निगाहों से हर बात कह देना, आंखों आंखों में मुस्कुराना, कभी शोखी दिखाना, कभी घबराना, कभी रूठ जाना और कभी दिल को चुरा लेना. उन की आंखों में हर अदा मुखर हो उठती थी. तभी तो आंखों पर कवियों ने कितने ही गाने लिख डाले. जरा याद कीजिए चिराग फिल्म में मजरूह सुल्तानपुरी के लिखे इस गाने को, तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है....
जरुरी है आंखों से बातें
पहले जब रास्ता चलते कोई पड़ोसी या परिचित दिख जाता था तो हम मुस्कुरा देते थे. मगर अब जब कि हम ने मास्क पहन रखे हैं तो ऐसे में एकदूसरे की तरफ फ्रैंडली स्माइल देना संभव नहीं. आजकल कुछ लोग हाथ हिला कर तो कुछ थम्सअप दे कर और कुछ सैल्यूट कर के अभिवादन करने लगे हैं. मगर इन सब तरीकों से वह कनैक्शन नहीं जुड़ पाता जो एक खूबसूरत रिश्ते में जुड़ना चाहिए. इस के लिए आप अपनी आंखों का सहारा लीजिए. दिल में जो भी है उसे आंखों में पढ़ा जा सकता है. आइए जानते हैं आंखों की कुछ भाषा...