प्रतिभा उस समय 22 साल की थी और मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रही थी. उसी कॉलेज का बेहद आकर्षक लड़का अनुराग अक्सर प्रतिभा के आसपास मंडराता रहता. प्रतिभा खुद काफी साधारण शक्ल सूरत वाली सांवली सी लड़की थी जो एक औसत मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती थी. जबकि अनुराग बहुत बड़े घर का इकलौता बेटा था. अनुराग ने कई बार प्रतिभा को एहसास दिलाया कि वह उस से बेहद प्यार करता है. प्रतिभा को समझ में नहीं आता कि आखिर अनुराग जैसा हैंडसम लड़का उस की जैसी साधारण सी लड़की को क्यों पसंद करता है.
एक दिन उस ने अपनी यह शंका अनुराग के आगे जाहिर की तो वह हंसता हुआ बोला," प्रतिभा तुम्हारी यह जो आंखें हैं न, बहुत गहराई है इन में. ऐसा लगता है जैसे बहुत कुछ छिपा हुआ है इन में. मेरा दिल करता है मैं इन आँखों में डूब जाऊं और फिर तुम्हारा यह जो लेखन है, शब्दों को इतनी सहजता से पिरोती हो, यह तुम्हारे दिल की पवित्रता और खूबसूरती को दर्शाता है. तुम्हारा व्यक्तित्व दूसरों से हट कर है. यही मुझे अपनी तरफ खींचता है. "
प्रतिभा के लिए अनुराग के मुंह से अपने बारे में यह सब सुनना बेहद सुखद था. मगर कहीं न कहीं प्रतिभा को इस बात का डर अब भी था कि क्या सच में अनुराग के मन में उस के लिए यह प्यार हमेशा ऐसा ही बना रहेगा या कभी किसी खूबसूरत लड़की से मिल कर वह उस की तरफ आकर्षित हो जाएगा. एक हीनभावना या यों कहिए कि खुद को आकर्षक न मानने की वजह से वह पूरे दिल से अनुराग को स्वीकार नहीं कर पा रही थी और उस से दूर दूर भाग रही थी.