बारिश, हरियाली, झूले, मिट्टी की सौंधी सी खुशबू, मेहंदी, बागों में खिले फूल, चिड़ियों का चहचहाना. यही तो है सावन की पहचान. सावन आते ही प्रकृति की अनोखी छटा बिखर जाती है. ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने हरे रंग की चादर ओढ़ ली हो.
बागों में झूले लग जाते हैं, लोग गीत गुनगुनाने लगते हैं, पेड़ों से आम लटक जाते हैं और रिमझिम बारिश से मौसम खुशनुमा हो जाता है. यह एक ऐसा मौसम है जिसमें रोमांस और रोमांच दोनों ही है. यह कहना गलत नहीं होगा की सावन एक ऐसा मौसम है जब प्रकृति का असल रूप और सुंदरता देखने को मिलती है.
सावन के महीने की रूमानियत ना सिर्फ किस्से कहानियों का खास हिस्सा रही है बल्कि मॉनसून का आगाज हमेशा से ही अपने साथ ढेर सारी परंपराएं लेकर आता है.
हिंदी कैलेंडर के पांचवे महीने को सावन का महीना कहा जाता है. सावन का महीना शुरू हो चुका है. इस महीने का हर दिन त्यौहार की तरह मनाया जाता है. सावन में मेहंदी लगाना एक परंपरा भी है और आज के समय में फैशन.
महिलाएं इस महीने में श्रृंगार करती हैं, रंग-बिरंगी कपड़े पहनती हैं और मेहंदी लगाती हैं. कहा जाता है कि मेहंदी के बिना सौंदर्य अधूरा होता है. मेहंदी की खुशबू घर-आंगन को महकाने के साथ-साथ हथेलियों की खूबसूरती में भी चार चांद लगाती है.
पर मेंहदी तभी खूबसूरत लगती है, जब उसका रंग गहरा हो और यह सही से रचे. मेहंदी का एक खास गहरा लाल रंग होता है जो हाथों पर बेहद खूबसूरत लगता है.
कई बार ऐसा होता है कि मेंहदी लगी तो बहुत अच्छी होती है लेकिन सही से न रचने के कारण खूबसूरत डिजाइन भी खिलकर नहीं आ पाता. ऐसे में आप इन उपायों को अपनाकर गहरी और खूबसूरत मेंहदी रचा सकती हैं. हालांकि पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपकी मेंहदी का घोल अच्छे से तैयार किया गया हो.