जब मैंने अपनी बेटी को जन्म दिया था तो एक माँ बनने के सुख के साथ साथ, तेजी से सफ़ेद और झड़ते बालो का तोहफ़ा भी मिल गया था. उस समय मेरी उम्र यही कोई 26 बर्ष की थी. मेरे बाल कभी भी सिल्की स्मूथ नही थे पर इतने रूखे सूखे और बेजान भी नही थे. बेटी के जन्म से पहले मैं अपने इक्का दुक्का सफेद बालों को हिना, कॉफ़ी और दही या अंडे का पैक लगाकर मैनेज कर लेती थी.
परन्तु बेटी के जन्म के बाद , मैंने हेयर कलर की दुनिया मे प्रवेश किया. शुरू शुरू में तो सब कुछ ठीक था परन्तु एक वर्ष के पश्चात ही बालों में रूखापन बढ़ गया था. और बालों का झड़ना तो कभी रुका ही नही था. दो वर्ष में ही बाल पहले से आधे हो गए थे.
जिसने भी सलाह दी उसने ही हेयर कलर को ज़िम्मेदार बताया तो फिर से मैंने हिना की तरफ कदम बढ़ाया पर अब बाल और भी अधिक रूखे हो गए थे . अगर सच कहूं तो नौकरी, घर और बच्ची की ज़िम्मेदारी के साथ बालो में मेहंदी लगाना अब एक समस्या लगने लगी थी.
फिर मैंने सोचा ना मेहंदी, ना कलर , बालो को यू ही छोड़ देती हूँ. दो, तीन महीने गुजर गए थे कि तभी लिफ़्ट में मेरी ही एक हमउम्र लड़की ने मुझे आंटी कहकर संबोधित किया . पहले तो मैं एकदम सकते में आ गई . पर जब मैंने आईने में खुद को देखा तो कुछ गलत तो नही कह रही थी वो . तीन महीनों में ही बालों की चांदी में काफ़ी इज़ाफ़ा हो गया था. उम्र एकाएक दस साल अधिक दिख रही थी.