रेटिंग : एक स्टार
गवाह की सुरक्षा के अहम मुद्दे पर अति कमजोर पटकथा व घटिया दृष्यों के संयोजन के चलते ‘बौम्बैरिया’ एक घटिया फिल्म बनकर उभरती है. बिखरी हुई कहानी, कहानी का कोई ठोस प्लौट न होना व कमजोर पटकथा के चलते ढेर सारे किरदार और कई प्रतिभाशाली कलाकार भी फिल्म ‘‘बौम्बैरिया को बेहतर फिल्म नहीं बना पाए.
फिल्म की शुरूआत होती है टीवी पर आ रहे समाचारनुमा चर्चा से होती है. चर्चा पुलिस अफसर डिमैलो के गवाह को सुरक्षा मुहैया कराने और अदालत में महत्वपूर्ण गवाह के पहुंचने की हो रही है.फिर सड़क पर मेघना (राधिका आप्टे) एक रिक्शे से जाते हुए नजर आती हैं. सड़के के एक चौराहे पर एक स्कूटर की उनके रिक्शे से टक्कर होती है और झगड़ा शुरू हो जाता है. इसी झगड़े के दौरान एक अपराधी मेघना का मोबाइल फोन लेकर भाग जाता है. और फिर एक साथ कई किरदार आते हैं. पता चलता है कि मेघना मशहूर फिल्म अभिनेता करण (रवि किशन) की पीआर हैं. उधर जेल में वीआईपी सुविधा भोग रहा एक नेता (आदिल हुसैन )अपने मोबाइल फोन के माध्यम से कई लोगों के संपर्क में बना हुआ है. वह नहीं चाहता कि महत्वपूर्ण गवाह अदालत पहुंचे. पुलिस विभाग में उसके कुछ लोग हैं, जिन्होने कुछ लोगों के फोन टेप करने रिक्शे किए है और इन सभी मोबाइल फोन के बीच आपस में होने वाली बात नेता जी को अपने मोबाइल पर साफ सुनाई देती रहती है. पुलिस कमिश्नर रमेश वाड़िया (अजिंक्य देव) को ही नहीं पता कि फेन टेप करने की इजाजत किसने दे दी. नेता ने अपनी तरफ से गुजराल (अमित सियाल) को सीआईडी आफिसर बनाकर मेघना व अन्य लेगों के खिलाफ लगा रखा है. अचानक पता चलता है कि फिल्म अभिनेता करण की पत्नी मंत्री ईरा (शिल्पा शुक्ला) हैं और वह पुनः चुनाव लड़ने जा रही हैं, तो वहीं एक प्लास्टिक में लिपटा हुआ पार्सल की तलाश नेता व गुजराल सहित कईयों को है, यह पार्सल स्कूटर वाले भ्रमित कूरियर प्रेम (सिद्धांत कपूर) के पास है.तो वहीं एक रेडियो स्टेशन पर दो विजेता अभिनेता करण कपूर से मिलने के लिए बैठे है, पर अभिनेता करण कपूर झील में नाव की सैर कर रहे हैं. तो एक पात्र अभिषेक (अक्षय ओबेराय) का है, वह मेघना के साथ क्यों रहना चाहता है, समझ से परे हैं. कहानी इतनी बेतरीब तरीके से चलती है कि पूरी फिल्म खत्म होने के बाद भी फिल्म की कहानी समझ से परे ही रह जाती है. यह सभी पात्र मुंबई की चमत्कारिक सड़क पर चमत्कारिक ढंग से मिलते रहते हैं.