24 वर्ष के बौलीवुड करियर में दो राष्ट्रीय, कुछ फिल्मफेअर सहित कई पुरस्कार जीत चुके मनोज बाजपेयी का करियर पिछले कुछ वर्षों से बड़ा डांवाडोल चल रहा है. उनकी कई फिल्मों ने बौक्स आफिस पर पानी नहीं मांगा. यहां तक कि मनोज बाजपेयी ने एक महत्वाकांक्षी फिल्म ‘‘मिसिंग’’ में अभिनय करने के साथ ही इसका निर्माण भी किया. मगर इस फिल्म का भी हश्र बुरा रहा. हर तरफ से हारकर अब ‘मिसिंग’ को डिजीटल प्लेटफार्म पर प्रदर्शित कर दिया गया है. तो वहीं वह इन दिनों जौन अब्राहम के साथ फिल्म ‘‘सत्यमेव जयते’’ को लेकर काफी उत्साहित हैं.
हाल ही में ‘टीसीरीज’ के आफिस में मनोज बाजपेयी से एक्सक्लूसिव बातचीत हुई, जो कि इस प्रकार रहीः
आपके करियर के टर्निंग प्वाइंट क्या रहे?
मेरे हिसाब से तो मेरे करियर की टर्निंग प्वाइंट फिल्म ‘‘सत्या’’ रही. इसी फिल्म के बाद मेरी जिंदगी में बदलाव आया. मुझे मेरे काम के पैसे मिलने शुरू हो गए. मैंने अब तक 63 विविधतापूर्ण किरदार निभाए हैं, जिनमें से पचास किरदारों की लोग चर्चा करते रहते हैं. मैंने तमिल व तेलगू भाषा की भी फिल्में की हैं. बाकी टर्निंग प्वाइंट तो व्यक्तिगत होते है, मसलन शादी हुई, बच्चे हुए वगैरह वगैरह.
‘सत्या’ का भीखू महात्रे जैसा कोई दूसरा किरदार कभी लोगों की जुबान पर नहीं बैठा?
मैं आपकी बात से पूर्णतया सहमत नही हूं. हर उम्र के लोगों के बीच मेरे द्वारा अभिनीत अलग अलग किरदार लोकप्रिय हैं. आपको भीखू महात्रे पसंद आया. 18 साल के युवक से पूछिए, तो सरदार खान उसके लिए महत्वपूर्ण है. तो किसी को फिल्म ‘राजनीति’का विजयप्रताप अच्छा लगता है. तो किसी को फिल्म ‘शूल’ का समर प्रताप अच्छा लगा. पर जिन लोगों को भीखू महात्रे पसंद है, वह अच्छी बात है. क्योंकि उसी से मेरा करियर बना. भीखू महात्रे जैसी परफार्मेस किसी अन्य कलाकार ने दी ही नहीं. तो जिस किरदार को मेरे अलावा कोई कर भी नहीं पाया, मेरे लिए उससे ज्यादा खुशी की बात क्या होगी.